कमरतोड़ मेहनत का नहीं मिल रहा फल : आदिवासियों ने खून-पसीना एक कर तोड़ा तेंदूपत्ता, लेकिन पैसे नहीं मिलने से हैं मायूस

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में इस साल लक्ष्य से अधिक तेंदूपत्ता का संग्रहण हुआ। लेकिन इसके बावजूद संग्राहकों में उत्साह नहीं है। तेंदूपत्ता संग्राहक नाखुश है। आदिवासी अपना बकाया राशि लेने भटक रहे हैं। दरअसल बस्तर संभाग के जगदलपुर सहित लगभग सभी जिलों में इस बार तेंदूपत्ता की बंपर संग्रहण होने से समितियों में शामिल लाखों संग्राहकों में उत्साह तो है पर इनके भुगतान में हो रही देरी से नाखुश भी है। बीजापुर और सुकमा जिले में 39 करोड़ 94 लाख का भुगतान होना है। बीजापुर में 32 करोड़ 21 लाख रुपए के तेंदूपत्ता का भुगतान होना है, जिनमें आधे से अधिक राशि का भुगतान अटका हुआ है। यही कारण है कि इन क्षेत्रों के आदिवासी अपना बकाया राशि लेने भटक रहे। गौरतलब है कि तेंदूपत्ता से मिलने वाली राशि से ग्रामीणों की कई जरूरतों की पूर्ति होती है। इन दिनों जिले में 73 करोड़ से अधिक की राशि का भुगतान होना है। इसमें 35 करोड़ का ही भुगतान हो पाया। इन जिलों में नगद भुगतान के लिए सरकार ने आदेश जारी किया है लेकिन समय पर भुगतान नहीं होना ये समझ से परे हैं।

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