छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पताल का कमाल! दिल की दुर्लभ बीमारी का किया सफल ऑपरेशन

रायपुर. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के एकमात्र सरकारी अस्पताल एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट  (Advance Cardiac Institute) में  दिल की एक दुर्लभ बीमारी  (Rare Heart Disease) एब्सटीन एनोमली (Ebstein anomaly) सर्जरी की गई है. छत्तीसगढ़ में अपनी तरह की यह पहली सर्जरी है. वहीं देश में भी ऐसे गिनती के ऑपरेशन सफल हुए हैं. इस ऑपरेशन को करने वाले कॉर्डियक सर्जन डॉक्टर के के साहू ने बताया कि एब्सटीन एनोमली दिल की यह बीमारी दो लाख में से एक मरीज में होती है. दिल की इस बीमारी में हार्ट का चैंबर राईट वेंट्रिकल ठीक से विकसित नहीं होता.  इसमें दिल में छेद भी होता है. इसमें पल्मोनरी आर्टरी जो अशुद्ध खून को शुद्ध करता है वह भी ब्लॉक होता है.  यह जन्मजात बीमारी है जो बच्चे के गर्भावस्था में रहने के दौरान होती है.

कॉर्डियक सर्जन डॉक्टर के मुताबिक, 18 प्रतिशत बच्चे जन्म लेते ही मर जाते हैं. इसके बाद बचे में से 50 प्रतिशत बच्चे दस साल तक की उम्र में आते मर जाते हैं. इसका कारण हार्ट फेल होना या शरीर का नीला पड़ना होता है. इसके उसके बाद वाले भी बीस साल की उम्र तक मर जाते हैं, जो बच जाते हैं उनके ऑपरेशन के परिणाम  पांच से दस प्रतिशत ही सफल होते हैं. इस ऑपरेशन में पहली बार बोवाइन टिश्यू वाल का उपयोग किया है जो गाय के पेरिकार्ड से बनता है. यह पूरे छत्तीसगढ़ में पहली बार हुआ है, देश में भी रेयर है.

बताया जा रहा है कि दिल के ऑपरेशन में पहली बार ऑटोलॉगस ब्लड ट्रांसफ्यूजन तकनीक से मरीज को खून चढ़ाया गया है. इसमें सर्जरी के दौरान  मरीज को उसका ही खून चढ़ाया गया है. अमूमन यह भी रेयरेस्ट होता है. छत्तीसगढ़ में यह पहली बार हुआ है. इससे मरीज को संक्रमण का खतरा कम हो गया. इसे मेडिकल जनरल में प्रकाशित होने के लिए भी भेजा गया है. सबसे बड़ी बात कि बाहर इस मरीज को यह कहकर ऑपरेशन लेने से मनाकर दिया गया था कि बचने के चांस केवल दो प्रतिशत है. वहीं लाखों का खर्चा भी बताया गया था.

मरीज ने कॉर्डियक सर्जन को बताया भगवान 
गौरतलब है कि कोरोना काल में रायपुर में रहने वाले इस दंपत्ति की नौकरी चली गई थी. आज मरीज भारती ऑपरेशन करने वाले कॉर्डियक सर्जन को अपना भगवान बता रही हैं.  भारती के पति का कहना है कि कोरोना काल में उनकी नौकरी चली गई. फल की दुकान लगाई थी कि इस बीमारी के बारे में पता चला. राज्य के लगभग सभी निजी अस्पतालों में जांच कराई लेकिन सहीं जांच नहीं आई. बाद में बाहर जाने की बात कही जा रही थी.  खर्च उनके बस में नहीं था. जाहिर तौर पर सरकारी अस्पताल में होने वाले ऐसे दुर्लभ ऑपरेशन ना केवल देश में राज्य के अस्पतालों की एक पहचान बनाते हैं, वहीं भरोसा भी मजबूत करते हैं.

ऑपरेशन कितना महंगा था. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकारी में होने के बाद भी मरीज को जो टिश्यू और अन्य संसाधन लगे उसके लिए मुख्यमंत्री विशेष सहायता योजना के तहत साढ़े चार लाख रूपए की सहायता मिली.

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