MP के लड़के की मोरक्को वाली लव स्टोरी , देशी बाबु की हो गई विदेशी मैम

प्यार ना जाति देखता है और ना ही सीमाओं के बंधनों को मानता है। इस बात की जीती जागती मिसाल है ग्वालियर के एक युवक और मोरक्को की रहने वाली एक युवती की प्रेम कहानी। यह प्रेम कहानी सोशल मीडिया प्लेटफार्म से शुरू हुई और शादी के बाद पति-पत्नी के रिश्ते में बदल गई। यह प्रेम कहानी है ग्वालियर के युवक अविनाश दौहरे और मोरक्को निवासी फादवा लैमाली की। युवक का धर्म युवती के धर्म से अलग था, देश भी बेगाना था, कभी एक दूसरे से रूबरू न होते हुए भी दोनों का प्यार परवान चढ़ता रहा। इस प्रेम कहानी को पूरा होने में पूरे 3 साल लग गए। आखिर में बुधवार को कलेक्ट्रेट में यह शादी कानूनी तौर पर हो गई।

सोशल मीडिया पर हुई मुलाकात और हो गया प्यार
ग्वालियर के प्रीतमपुरम कॉलोनी निवासी अविनाश के मुताबिक उनकी फादवा के साथ पहचान सोशल मीडिया पर हुई थी। इसके बाद दोनों एक-दूसरे से मैसेज और वीडियो कॉल पर बात करते रहे। इसी बीच दोनों ने शादी करने का फैसला लिया। लेकिन यह आसान भी नहीं था। जाति, धर्म, परिवार सबकुछ ध्यान में रखकर दोनों को एक दूसरे को पाना था।

रिश्ता लेकर मोरक्को पहुंच गए अविनाश
शादी के फैसले के बाद अविनाश रिश्ते की बात लेकर मोराक्को पहुंचे। उनके सामने चुनौती थी कि अपने प्रेमिका के परिवार, ख़ासकर अपने होने वाले ससुर को मनाने की। इसके लिए अविनाश फादवा के परिवार से मिलने के लिए दो बार मोरक्को पहुंचे। फादवा के पिता अली लैमाली ने बार-बार इस शादी के लिए इनकार किया। लेकिन जब फादवा और अविनाश ने शादी की ज़िद नहीं छोड़ी तो फादवा के पिता ने अविनाश से भारत छोड़कर मोरक्को में बसने का ऑफर दिया।

देश और धर्म से नहीं किया समझौता
​​​​​​​​​​​​​​अविनाश फादवा से शादी करना चाहता थे, लेकिन उसने इसके लिए फादवा के पिता की शर्तों को मानने से इनकार कर दिया। अविनाश ने फादवा के पिता से कहा कि ना तो मैं अपना देश छोडूंगा और न ही अपना धर्म परिवर्तन करूंगा। अविनाश ने फादवा का धर्म भी न बदलवाने की बात कही। अविनाश ने फादवा के पिता को भरोसा दिलाया कि उसे अपना धर्म और अपनी परंपराए उसी तरह निभाने की आजादी भारत में होगी, जैसे वह मोरक्को में निभाती आई है।

अविनाश की इस एक बात ने फादवा के पिता का दिल जीत लिया। फादवा ने बताया कि अविनाश की निर्णय लेने की क्षमता, खुद पर भरोसा और अपने देश, धर्म और संस्कृति के साथ ही दूसरे के धर्म और संस्कृति के सम्मान करने की भावना ने मेरे पिता का दिल जीत लिया, जिसके बाद वह मेरी शादी अविनाश से करने को राजी हो गए। कुछ ऐसा ही अविनाश के परिवार में भी हुआ। उन्हें मनाने के लिए भी दोनों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। अंतत: वे भी मान गए।

यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं अविनाश
अविनाश एक ऑनलाइन कंसल्टिंग कंपनी में काम करने के साथ ही यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं और फादवा ने ग्वालियर आकर एक निजी यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट की पढ़ाई करना शुरू कर दिया है। दोनों ने कहा कि वे हिंदू या इस्लामिक रीति-रिवाज से अब अलग से कोई शादी नहीं करेंगे। कोर्ट मैरिज ही इनकी फाइनल शादी है।

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