छत्तीसगढ़..राजधानी में चालीस शवों को संस्कार का इंतज़ार करते बीते 48 घंटे.

रायपुर,10 अप्रैल 2021। कोरोना के रुप में मौत तांडव नृत्य कर रही है।कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन का तेवर लोगों को सम्हलने का मौक़ा देने तक नहीं दे रहा है। प्रारंभिक लक्षणों को समझने में हुई ज़रा सी चूक सीधे मौत के हवाले कर रही है।मरने वालों में बूजूर्गोँ के साथ साथ युवाओं की संख्या प्रभावी रुप से बढ़ते क्रम में दर्ज की जा रही है।

कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन को लेकर उपचार का अब भी वही तरीक़ा है जो पिछले साल तक आज़माया गया था,लेकिन इस बार अंतर यह है कि दवाओं की यह आज़माइश तब ही सफल है जबकि बेहद प्रारंभिक दौर में मरीज खुद को कोविड संक्रमित के रुप में पहचान ले। अब इसे दुर्भाग्य कहें या चेतना का अभाव या नासमझी या हद दर्जे की लापरवाही, लोग अब भी सम्हलने को समझने पूरी तरह तैयार नहीं दिख रहे हैं।

मरीज़ों के लाशों में तब्दील होने का जो आलम है वह परिजनों के लिए स्थाई शोक है लेकिन कोरोना से शवों में तब्दील हो चुके मरीज़ों को तत्काल संस्कार भी तुरंत मुहैया नहीं है, और यह इंतज़ार परिजनों के लिए अभिव्यक्ति ना की जा सके ऐसी पीड़ा है। बीते 48 घंटों में कम से कम चालीस शवों को प्रक्रिया के पूरे होने के बाद श्मशान के भी ख़ाली होने का इंतज़ार है। इतने ही समय में याने क़रीब 48 घंटों में चालीस शवों के संस्कार की अनुमति और व्यवस्था कराई गई है।
हालात बेक़ाबू होते जा रहे हैं, लॉकडाउन से यदि संक्रमण में कमी आएगी भी तो शर्त यह है कि चेन टूटने के लिए कम से कम चौदह दिन का वक्त चाहिए, प्रदेश में कहीं भी लॉकडाउन चौदह दिन के चक्र को पूरा नहीं करता है।

कोविड संक्रमित मरीज़ों के शव के संस्कार के लिए एक इसाई और एक मुस्लिम क़ब्रिस्तान मिलाकर कुल नौ श्मशान घाट में संस्कार किए जाने की व्यवस्था की गई है, लेकिन आपात हालात और बेक़ाबू हो चुके आँकड़ों ने प्रशासन को मजबूर किया है कि वे और श्मशान घाटों की व्यवस्था करें।

राज्य सरकार अस्पतालों में ऑक्सीजन युक्त बेड बढ़ाने की क़वायद में है तो वहीं स्थानीय स्तर पर क़वायद है कि कम से कम आठ और श्मशान घाट को कोरोना संक्रमित मरीज़ों के संस्कार के लिए खोला जा सके।

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