महंगाई अब मुद्दा नहीं! अब सियासी और चुनावी मुद्दा ही नहीं है महंगाई?

रायपुर: पिछले तीन वर्षों में 40 फीसदी से अधिक हमारे और आपके घर का बजट बढ़ गया है। यानी महंगाई आसमान छू रही है, लेकिन राजनीतिक दलों के लिए महंगाई कोई मुद्दा नहीं है। यानी जो जनता का मुद्दा है, जो जनता से जुड़ा हुआ मुद्दा है, वो राजनीतिक दलों का मुद्दा क्यों नहीं है। चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़े जा रहे हैं, महंगाई जिस तेज़ी से विकास कर रही है। उस पर किसी का ध्यान नहीं है। आज दोनों राज्यों की सरकारों के प्रतिनिधि के तौर हमारे साथ दो खास मेहमान जुड़े हैं, जिनसे ये सवाल पूछता है कि जनता के इस मुद्दे पर आपकी सरकारों का क्या पक्ष है?

जनता की परेशानियों के सबसे बड़े मुद्दे क्या उसके जनप्रतिनिधियों को भी परेशान कर रहे हैं? इन सवालों के जवाब जानना आपके लिए बेहद ज़रूरी है क्योंकि सवाल आपका है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में अगले ही साल चुनाव हैं। दोनों राज्यों में देश की सबसे ताकतवर दो राष्ट्रीय पार्टियों की सरकार है। मध्यप्रदेश में जो सत्ता पक्ष है वो छत्तीसगढ़ में विपक्ष है और छत्तीसगढ़ में जिसकी सत्ता है वो मध्य प्रदेश का विपक्ष है। इन दोनों ही राज्यों में चुनावी कवायद शुरू हो चुकी हैं। मुख्यमंत्रियों के दिल्ली दौरे चल रहे हैं। केंद्रीय मंत्रियों की चुनावी राज्यों में आवाजाही तेज़ हो चली है। बैठकों का अनवरत अंतहीन सिलसिला चल रहा है, लेकिन, क्या इन दौरों, इन बैठकों में महंगाई, बेरोज़गारी भी मुद्दा है?

विकास पर सबका ज़ोर है, लेकिन महंगाई के विकास की रफ्तार सब पर भारी है। लेकिन, मुश्किलों, दुश्वारियों का विकास इतनी तेज़ी से हुआ है कि अब महंगाई कोई मुद्दा ही नहीं रहा। जनता झेल रही महंगाई, बेरोजगारी की मार पार्टियां बोल रहीं, अबकी बार हमारी सरकार! तो आज दोनों ही राज्यों की दोनों ही पार्टियों से पूछता है एक बेहद सीधा सवाल कि क्या महंगाई अब सियासी और चुनावी मुद्दा ही नहीं है?

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