छत्‍तीसगढ़ में संयुक्त संचालकों ने अपात्रों को बनाया पात्र, शिक्षक भर्ती में विवाद

छत्‍तीसगढ़ प्रदेश के स्कूलों में हो रही 14 हजार 580 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में एक बार फिर विवाद सामने आया है। इस बार कुछ संभागीय और कुछ जिला स्तर पर गड़बड़ी सामने आई है। दरअसल शिक्षक और सहायक शिक्षकों की भर्ती में अधिकारियों ने उन अभ्यर्थियों को भी पात्र कर दिया है, जो कि पहले सत्यापन के दौरान शिक्षक पात्रता प्रमाण पत्र की वैधता खत्म होने के कारण अपात्र घोषित कर दिए थे। जिन अभ्यर्थियों की पूर्व में जारी शिक्षक पात्रता प्रमाण पत्र की वैधता समाप्त हो चुकी थी, उन सभी के पात्रता प्रमाण पत्र आजीवन वैध होने के आदेश के बाद अधिकारियों ने पूर्व की प्रक्रिया में इन प्रमाण पत्रों को मान्य कर दिया है।

राज्य सरकार ने 14 जुलाई, 2021 को शिक्षक पात्रता प्रमाण पत्र को आजीवन वैध करने के लिए आदेश जारी किया था। नियमानुसार कोई भी आदेश या निर्देश जारी होने के दिनांक से प्रभावशील माना जाता है न कि भूतलक्षी प्रभाव से। ऐसे में साल 2019 से चल रही शिक्षकों की भर्ती में अफसरों ने सरकार के आजीवन प्रमाण पत्र की वैधता वाले आदेश को आधार बताकर पिछली प्रक्रिया के लिए भी इसे वैध करके नियुक्ति दे दी है। इसे लेकर विभाग में हड़कंप मच गया है।

संचालक ने पत्र में लिखा-गलत व्याख्या कर डाले अफसर
मामले में लोक शिक्षण के संचालक डा. कमलप्रीत ने संयुक्त संचालकों और जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा है कि शिक्षक पात्रता प्रमाण पत्र हासिल करने वाले अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र आजीवन वैध माने जाएंगे, लेकिन 14 जुलाई, 2021 को जारी आदेश की अफसर गलत व्याख्या कर रहे हैं।
कोर्ट ने लगाई भर्ती प्रक्रिया पर रोक
इधर, न्यायालय ने भर्ती प्रक्रिया में ही रोक लगा दी है। अगली सुनवाई 21 नवंबर को होनी है। वहीं के राजनांदगांव के जिला शिक्षा अधिकारी एचआर सोम ने गड़बड़ी करके नियुक्ति जारी की थी। मामला सामने आने के बाद स्कूलों में ज्वाइन कर चुके कुछ शिक्षकों की नियुक्ति को रद किया गया है। इससे विवाद गहराता ही जा रहा है। इसी तरह संयुक्त संचालक दुर्ग , जिला शिक्षा अधिकारी मुंगेली, संयुक्त संचालक सरगुजा और संयुक्त संचालक कार्यालय रायपुर में गड़बड़ी करके नियुक्ति और अपात्रों को भी पात्र करने का मामला सामने आया है।

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