जरूरत से ज्यादा विटामिन डी बन सकता है जान के लिए खतरा, एम्स के डॉक्टर से जानें कितनी मात्रा में लेना सही
विटामिन डी शरीर के लिए बेहद जरूरी पोषक तत्व है लेकिन इसकी अधिक मात्रा लेने से व्यक्ति की जान भी जा सकती है। एम्स की रुमेटोलोजी विभाग की प्रमुख डॉ. उमा कुमार के अनुसार, विटामिन डी की अधिक मात्रा जान ले सकती है। संतुलित मात्रा जरूरी है।
विटामिन डी सप्लीमेंट की मदद से हड्डी मजबूत करने के चक्कर में एक व्यक्ति अपनी जिंदगी दांव पर लगा बैठा। डॉक्टर ने उसे सप्ताह में एक बार विटामिन डी का सप्लीमेंट लेने को कहा, लेकिन वह इसे हर रोज इस्तेमाल करने लगा। लगातार उल्टी की शिकायत लेकर वह दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल पहुंचा तो डॉक्टर हैरान रह गए।
अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर अतुल गोगिया के मुताबिक आगरा के रहने वाले इस व्यक्ति के रक्त की जांच कराई गई। पता चला कि क्रिएटनिन और कैल्शियम का स्तर ज्यादा बढ़ गया है। विस्तृत जांच करने पर पता चला कि उसके शरीर में विटामिन डी की मात्रा बहुत अधिक हो गई। इसके बाद उसका जरूरी उपचार किया गया। चिकित्सकों के मुताबिक, विटामिन डी का सप्लीमेंट अधिक लेने से मरीज की किडनी पर गंभीर असर पड़ा है। उसने चिकित्सकों को बताया कि कुछ दिन पहले उसके टखने की हड्डी टूट गई थी। तब एक डॉक्टर ने सप्ताह में एक बार विटामिन डी का सप्लीमेंट लेने की सलाह दी, लेकिन वह रोज लेने लगा। इससे वह बीमार हो गया।
फेफड़ों को नुकसान- अधिक विटामिन डी का सेवन खून में कैल्शियम, फॉस्फेट के स्तर को बढ़ा देता है। इनसे बने क्रिस्टल फेफड़ों में जमा होने की आशंका रहती है। इससे फेफड़ों को नुकसान हो सकता है।
विटामिन डी क्यों जरूरी : विटामिन डी के अभाव में शरीर में कैल्शियम का पूरा फायदा नहीं मिल पाता। इससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। विटामिन डी की कमी शुगर का स्तर भी बढ़ाती है। सूरज की किरणों और खाने की कुछ चीजों को छोड़कर तमाम खाने में विटामिन डी नहीं मिल पाता। इसलिए चिकित्सक परीक्षण के बाद इसकी गोलियां और पाउडर लेने की सलाह देते हैं।
विटामिन डी की कितनी मात्रा है जरूरी-
हर व्यक्ति के रक्त में 30 से 70 नैनो ग्राम प्रति मिलीलीटर विटामिन डी की मात्रा जरूरी होती है। शरीर में विटामिन डी की मात्रा 20 से 30 नैनो ग्राम प्रति मिलीलीटर के बीच है तो कमी मानी जाती है। अगर यह 20 से नीचे और 70 से ऊपर है तो तुरंत चिकित्सक के पास जाना चाहिए।