जलवायु परिवर्तन – तेजी से घट रही है गौरेया और कौओं की संख्या, बारिश के दिन भी 88 से कम होकर 52 दिन
इंडो ग्लोबल सोशल सर्विस सोसाइटी (आईजीएसएसएस), यूनिसेफ और इंटर-एजेंसी ग्रुप (आईएजी) के सहयोग से आयोजित एक गतिशील और जानकारीपूर्ण जलवायु परिवर्तन कार्यशाला, का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में तकरीबन 30 गैर-सरकारी संगठनों को समावेशित किया गया जो छत्तीसगढ़ में कार्य कर रहे हैं और साथ ही, राज्य सरकार के अधिकारी, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (एनआरएम), कृषि, ऊर्जा, स्वास्थ्य और वाश जैसे विभागों के प्रतिनिधि भी शामिल थे।
विशिष्ट मेहमान के रूप में प्रदीप शर्मा, मान्यनीय मुख्यमंत्री के सलाहकार – कृषि योजना और ग्रामीण विकास; अनूप श्रीवास्तव आईएफएस, राज्य योजना आयोग के सदस्य सचिव जॉब जकारिया, मुख्य यूनिसेफ छत्तीसगढ़; विनय गुप्ता, एसई एमएनरेगा; डॉ. जी.के. दास, डीन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, संजीव जैन, सलाहकार, सीआरईडीए, प्रोशिन घोष, आईजीएसएस और विभिन्न श्रेष्ठतापूर्ण व्यक्तित्व आदि ने पौधों को पानी देने के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इनके समवेत उपस्थित में, समुदायों के सुधार के लिए सामूहिक क्रियान्वयन की तत्परता , महत्व और सरकार की सतत विकास की प्रतिबद्धता पर कार्य करने पर जोर दिया गया।
प्रदीप शर्मा ने छत्तीसगढ़ में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में बात करते है सूचित किया कि, हर वर्ष बारिश के दिनों की संख्या 88 से 52 दिनों तक कम हो गई है साथ ही उन्होंने बताया कि बच्चे जलवायु परिवर्तन की प्रति विकासशील अवस्था के कारण काफी संवेदनशील होते हैं , साथ ही उन्होंने पोषण, पानी, और जीविका के बारे भी चर्चा करते हुए पशु-पक्षियों के घटती जनसंख्या के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि कौए और गौरेयों की संख्या राज्य में कम हो रहे है।
जॉब जकारिया ने अपनी बात रखते हुए कहा कि बच्चों और उनके भलाई पर ध्यान केंद्रित करने के जलवायु परिवर्तन के प्रयास की महत्वपूर्णता के बारे में बताया। इस विषय पर यूनिसेफ के प्रयासों से क्षेत्र में 5000 जीवन विद्यालय स्थापना और जिनका मुख्य लक्ष्य युवा पीढ़ी पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का समाधान किया जा सके। उन्होंने इस बात को ज़ोर दिया कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ छोटे कदम बड़ी तस्वीर और दीर्घ दौड़ में अत्यंत प्रभावी हो सकते हैं। एक मुद्दा जैसे कि एक दिन में एक मग पानी की बचत करना भी संसाधनों की संरक्षण और सभी के लिए एक दीर्घकालिक सुरक्षित भविष्य बनाने में योगदान कर सकता है।
श्री अनूप श्रीवास्तव, आईएफएस सदस्य सचिव, राज्य योजना आयोग, ने आंकड़ा विश्लेषण की महत्वपूर्णता और इसकी क्लाइमेट परिवर्तन समस्या को प्रभावी ढंग से समाधान करने में इसकी भूमिका को प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उचित समयोजित डाटा से मूल्यवान दृष्टिकोण प्राप्त किए जा सकते हैं और लक्षित और प्रभावी कदमों के सूचना को तैयार करने में मार्गदर्शन मिल सकता है जो कि क्लाइमेट परिवर्तन का समाधान करने के लिए उद्देश्य से महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
यह कार्यशाला एनजीओ और सरकारी अधिकारियों के बीच सहयोग और महत्वपूर्ण जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और रणनीतियों के महत्वपूर्ण विषयों पर एक मंच में चर्चा करने का अद्वितीय मंच प्रदान किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विभिन्न हितधर्मी स्तरों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देना था ताकि यह चुनौतियों का सामना करने के लिए संगठनों को मिलकर एकत्र किया जा सके।
चर्चाएँ मुख्यत: जलवायु परिवर्तन के खिलाफ व्यापक रणनीतियों का विकास करने की महत्वपूर्णता पर केंद्रित थी। प्रतिभागी व्यापक चर्चाओं में शामिल हुए जिनमें बदलाव की आवश्यकता की महत्वपूर्णता को प्रकट किया गया, साथ ही पर्यावरण की रक्षा और बदलते जलवायु की स्थितियों के सामने सहनशीलता को बढ़ावा देने के लिए संकल्प को उजागर किया गया।
मनरेगा के अधीक्षक अभियंता श्री विनय गुप्ता, क्लाइमेट चेंज सेंटर से डॉक्टर अनिल श्रीवास्तव, यूनिसेफ के विशाल वासवानी, आई जी एस एस एस से सुश्री स्रीजिता सिरकार, आईएजी से डॉ. पुनीता कुमार और विभिन्न अन्य श्रेष्ठतापूर्ण व्यक्तित्व भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे, जो एक सतत और जलवायु-सहायक छत्तीसगढ़ की ओर सामूहिक प्रयास कर इसको सफल बनाने की राह दिखाई।
कार्यशाला सकारात्मक नोट पर समाप्त हुई, प्रतिभागियों ने खुद को जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और शमन की दिशा में सहयोगपूर्ण रूप से काम करने के लिए अपनी समर्पणा व्यक्त की। यह घटना दिखाती है कि एनजीओ, सरकारी निकायों और समुदायों से विभिन्न आवाजों को एकत्र करके सकारात्मक परिवर्तन को प्रोत्साहित करने और एक और अधिक सामर्थ्यशाली भविष्य बनाने की शक्ति को प्रकट करती है।