कोयला संकट से निजात दिलाने के लिए रेलवे ने कसी कमर, रात-दिन हो रही लाखों टन की ढुलाई

नई दिल्ली. कोयला संकट का सामना कर रहे थर्मल पावर प्रोजेक्ट्स (Thermal Power Projects) चलते रहें, यह जिम्मा भारतीय रेलवे (Indian Railway) ने उठाया है. रेलगाड़ियां लोडिन की क्षमता बढ़ाकर रात-दिन पावर प्लांट्स तक कोयला पहुंचा रही हैं. खबरें आ रही थी कि देश के कई पावर प्लांट्स में कोयला का स्टॉक बहुत कम बचा है. ऐसे में सरकार और संबंधित विभाग अलर्ट मोड पर हैं. रेलवे में भी अधिकारियों को सक्रिय रहने और हर घंटे की जानकारी तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही हर दिन लोड होने वाले कोयला की संख्या भी बढ़ा दी गई है.

 

कोयला की कमी को रेलवे आंतरिक रूप से ‘आपातकाल’ मान रहा है.सभी जोनल रेलवे के मुख्य संचालक प्रबंधकों को कंट्रोल रूम तैयार रखने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही मंत्रालय और जनरल मैनेजर्स के लिए हर घंटे के बुलेटिन बनाने के लिए भी कहा गया है. इससे पहले ऊर्जा मंत्री आरके सिंह भी प्लांट्स में कोयला की कमी को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं.

इधर, हर रोज होने लोड होने वाले कोयला के रैक की संख्या सोमवार को 430 से बढ़कर 440-450 हो गई है. सोमवार को 17.7 लाख टन कोयला का परिवहन किया गया. जबकि, बीते साल इसी दिन यह आंकड़ा 14.8 लाख था बताया गया कि अगर मांग प्रतिदिन 500 रैक तक बढ़ती है, तो भी रेलवे इसे आराम से संभालने के लिए तैयार है.

अधिकारियों ने जानकारी दी है कि बड़ी संख्या में कोयला देश के पूर्वी हिस्सों से आ रहा है और ऐसे हिस्सों में काम पूर्वी मध्य रेलवे करती है. ऊर्जा और कोयला मंत्रालयों में उथल पुथल के बीच रेलवे ने यह भरोसा जताया था कि उनके लिए परिवहन की क्षमता की कोई परेशानी नहीं थी और वे पावर हाउस की जरूरतों के अनुसार परिवहन करने के लिए तैयार थे.

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘हालात एक या दो दिनों में सामान्य नहीं होंगे और हम कोयला परिवहन की सारी मांगों को पूरा करने के लिए तैयार हैं.’ रिपोर्ट के अनुसार, लोडिंग और अनलोडिंग के अलावा खाली रैक की गतिविधियों पर भी खास निगरानी रखी जा रही है और सूत्रों ने बताया है कि नवंबर की स्थिति का इंतजार किया जा रहा है, जब आमतौर पर मांग में गिरावट दर्ज की जाती है.

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