जेल नियमावली बस दिखावे के… मानता कौन है?

जेल के अंदर मची खलबली आजीवन कारावास काट रहा कैदी कैसी हो गया रफूचक्कर… ?
 बिलासपुर—केंद्रीय जेल बिलासपुर में आजकल सब कुछ  ठीक नहीं चल रहा है बीते दिनों धारा 376  एवं पास्को एक्ट का कैदी सत्यम दास महंत गौशाला के सफाई के लिए गेट पास  कराया गया था किंतु चक्कर अधिकारी नारायण ध्रुव और सूर्यकान्त की नजर से ओझल हो कर जेल से फरार हो गया.यह कैदी 2014 से सजा काट रहा है जेल सूत्रों के अनुसार जेल में सभी प्रकार के झांकी कार्यक्रम में उनको हिस्सा लेने केलिए अधिकारी आगे कर देते थे और कैदी ने जेल अधिकारियो के नजर में अपना विश्वास बना लिया था और इसी विश्वास के आधार पर जेल मैन्युअल को नजर अंदाज कर के फरार कैदी से कई काम लिये जाते थे.नियानुसार यदि कोई भी कैदी आजीवन कारावास की सजा काट रहा है उसके लिए गए निर्णय की उससे कब काम लेना है यह इस बात पर निर्भर करता है की उसने अपने कारावास का कितना समय जेल में बिता लिया है और कितना शेष है. जेल मैन्युअल क्र. 654में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है की जेल दीवारों के बाहर कैदियों का नियोजन हेतु अलग अलग मापदंड तय किया गया है इस बात पर विचार किये बिना की पूर्व में कैदी द्वारा भुगते समयावधि कितनी है जेल दीवारों के बाहर का श्रम पर नियोजित किया जा सकेगा.जैसे कि

a)छः माह से अधिक कालावधि केलिए कारावास के कैदी दंडाशिष्ट समस्त कैदीb) ऐसे समस्त कैदी जिनके कारावास दंडादेश छः माह से अधिक केलिए हो किंतु जिन्होंने अपने कारावास कालावधि 1/3 या अधिक जेल में पहले से ही भुगत लिये हो तथा शेष कालावधि 2 वर्ष  से कम होc) ऐसे समस्त कैदी जिनकी कारावास के दण्डादेश छः माह से अधिक कालावधि के हो किंतु जिन्होंने अपने दण्डादेश की कालावधि 1/3 या अधिक भाग का दंड जेल में पहले ही भुगत लिया हो किंतु शेष कालावधि दो वर्ष से अधिक हो  ऐसी दशा में उपनियम 1)में वर्णित a तथा bमें अधीक्षक इस विषय में अंतिम विनिश्चय करने में सक्षम होंगे जब की c की दशा में महानिरीक्षक के आदेश प्राप्त किये जाएंगे किंतु कैदी सत्यम दास महंत के विषय में ऐसी कोई बारीकियों पर ध्यान नहीं दिया गया.बहरहाल गोपी डहरिया जो की एक सिपाही है को सस्पेंड कर के खानापूर्ति कर ली गई है जबकि चक्कर अधिकारी नारायण ध्रुव और सूर्यकान्त जवाबदार बनते है एवं गेट सुरक्षा अधिकारी के साथ जेलर की भी जवाबदारी मुख्य है किंतु किसी सक्षम अधिकारी को न ही नोटिस जारी हुई है न ही स्पष्टीकरण लिया गया है ऐसा प्रतीत होता है की पूरी जेल विभाग के मिलीभगत से यह घटना को अंजाम दिया गया है इस विषय पर बात करने से अन्य अधिकारी कतराते नजर आ रहे है.
जब इस विषय पर हमारी चर्चा फोन पर जेल सहायक अधीक्षक जेलर आर आर राय से हुई तो उन्होंने बहुत सक्षमता वाले स्वर में कहा की जेल मैन्युअल में तो 700 से अधिक नियम है और हम सब नियम केलिय अधिकृत है हमें जेल दीवार के अंदर हो या बाहर कैदियों से काम करवाने केलिए स्वयं सक्षम है हमें किसी से भी अनुशंसा या प्रस्ताव की आवश्यकता नहीं है सिर्फ जेल गेट से बाहर ले जाने केलिए कलेक्टर के आदेश लेने होते है बाकि सभी जगह पर काम करवाने केलिए सारे नियम हमारे आधीन है.अपने आपको बचाने केलिए ऐसा ब्यान देते है इससे ऐसा लगता है की जेल नियम कानून का कोई मतलब नहीं है हम कह दे वही कानून है 

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