जिस कम्पनी का जल कर करोड़ो में बकाया और जमीन के मामले एसडीएम न्ययालय में चल रहा है उसका जनसुनवाई 30 जुलाई को, हुंकार भरेंगे ग्रामीण…जनसुनवाई के विरोध में गांव गांव हो रही बैठक
रायगढ़। औद्योगिक प्रदूषण फैलाने व आदिवासियों की भूमि पर बलात कब्जा करने वाले इंड सिनर्जी लिमिटेड कोटमार के खिलाफ ग्रामीण एक बार फिर लामबंद होने वाले है। कम्पनी के विस्तार को लेकर 30 जुलाई को जनसुनवाई रखी गई है जिसका ग्रामीण पुरजोर विरोध कर रहे हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि इंड सिनर्जी लि. कोटमार, महुवापाली, सियारपाली क्षेत्र में स्थित है। जहां पावर प्लांट, स्पंज आयरन स्टील प्लांट स्थित है यहां 24 मेगावाट का केप्टिव पावर प्लांट भी है। फैक्टरी प्रबन्धन द्वारा उद्योग लगाने व संचालित करने की उल्लेखित शर्तो का उल्लंघन किया जा रहा है। उद्योग की मनमानी को लेकर पर्यावरण संरक्षण मण्डल द्वारा निरीक्षण में अगस्त 2018 और जनवरी 2019 में किये गए निरीक्षण के प्रतिवेदन से जाहिर भी है और पर्यावरण विभाग द्वारा नियमों के तहत कार्रवाई भी की गई थी लेकिन इसका कोई असर इंड सिनर्जी प्रबन्धन को नही पड़ा और लगातार आद्योगिक प्रदूषण जारी है,आस पास गांव पूरी तरह प्रदूषण की चपेट में है।
उद्योग द्वारा कई आदिवासियों की जमीन पर भी कब्जा कर रखा है। जिसमे कोटमार के 4 आदिवासी परिवार की करीब 12 एकड़ तथा 2 गैर आदिवासी और 2 दलित परिवार की लगभग 5 एकड़ भूमि पाए अतिक्रमण कर कारखाना स्थापित किया गया है। इसके अलावा कंपनी पर आरोप है कि उद्योग स्थापित करने अधिग्रहित की जाने वाली कुल भूमि 250 एकड़ के लगभग होता है किंतु हकीकत में उद्योग प्रबन्धन द्वारा इससे कहीं अधिक जमीन अपने कब्जे में कर रखा है। जिसमे गौचर, छोटे झाड़ के जंगल, निजी भूमि शामिल है। जिसका प्रकरण अभी भी एसडीएम न्यायालय में चल रहा है
वही सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक जुलाई 2021तक कम्पनी का करोड़ो रुपया का जल कर बकाया बताया जा रहा है इसके बाद में जनसुनवाई करना समझ से परे है
इसके अलावा स्थानीय ग्रामीणों द्वारा अब इसकी मनमानी के खिलाफ 30 जुलाई को होने वाली जनसुनवाई का विरोध करेंगे।
ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि उद्योगों में चलने वाले भारी वाहन जो 40 से 60 टन भार वाली वाहन धड़ल्ले से दौड़ रही हैं जबकि गांव की सड़क की भार क्षमता महज 12 टन है।
फैक्टरी के आद्योगिक प्रदूषण, भारी वाहनों की वजह से सड़क चलने लायक नही रह गई है। कहने को क्षेत्र में एक बड़ा उद्योग स्थापित हैं लेकिन इसका गांव विकास में भी कोई योगदान नही है। इसलिए ग्रामीणों की मांग है कि उद्योग द्वारा तमाम नियम कानून को ताक पर रख कर चलाया जा रहा है इसे बंद करा दिया जाना चाहिए। लेकिन इसके उलट कम्पनी का विस्तार कराने जनसुनवाई आयोजित की जा रही है जो गलत है। कम्पनी पर लाखों रुपए का जल कर भी बकायाा है।