बेटी दिवस: हर क्षेत्र में कदम से कदम मिला रहीं ये बेटियां

लखनऊ: हर साल सितंबर के चौथे रविवार को अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस मनाया जाता है. इस साल बेटी दिवस 26 सितंबर को यानी आज मनाया जा रहा है. इसके पीछे का मकसद है कि घर में बहू बेटियों को सम्मान देना, इज्जत देना, उनके बेहतरीन कामों पर पीठ थपथपाना, उनकी गलतियों को माफ कर उन्हें समझाना. बेटियों के लिए ये जरूरी इसलिए भी है क्योंकि एक दौर में बेटियों के पैदा होते ही उसे कलंक समझा जाता था. पर जैसे जैसे समय बदलता गया बेटियों के लिए लोगों के नजरिये बदले. बेटियों को मौका मिलने लगा पढ़ने का, हर क्षेत्र में अपनी सफलता का परचम लहराने का. बेटी दिवस के मौके पर आज देशभर से कुछ बेटियों की कहानी जानते हैं कि कैसे उन्होंने हर क्षेत्रों में पुरुषों से कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं.

डॉक्टर सारिका- केजीएमयू पीडियाट्रिक विभाग की डॉ सारिका गुप्ता ने अस्पताल और घर में बेहतर तालमेल स्थापित किया है. डॉक्टर सारिका ने कोविड काल के दौरान 10 10 घन्टे तक लगातर लोगों की सेवा की है. उनकी मुश्किलें तब और बढ़ गई थी जब 2 उन्हें परिवार से दूर 14 दिन क्वारंटाइन में रहना पड़ा था.

पूजा गुप्ता- हाल ही में घोषित हुए यूपीएससी की नतीजों में पूजा गुप्ता ने 42 वी रैंक हासिल की है. इससे पहले उन्होंने साल 2019 में पहले ही प्रयास में आईपीएस की परीक्षा पास कर ली थी. पूजा दिल्ली की रहने वाली है और उनका ससुराल लखनऊ में है. पूजा बताती है कि उनकी मां रेखा गुप्ता दिल्ली पुलिस में एसआई है. उन्हीं को देखकर पूजा ने सिविल सेवा का लक्ष्य बनाया. आईपीएस की ट्रेनिंग के दौरान पूजा की शादी शक्ति मोहन अवस्थी से हुई जो खुद आईपीएस हैं.

पलक कोहली- पलक कोहली बचपन से ही बाएं हाथ से दिव्यांग है. पर इसके बावजूद भी इससे उनका हौसला डगमगाया नहीं है. समाज की चुनौतियों का सामना करते हुए टोक्यो पैरालंपिक में 19 वर्षीय पलक कोहली ने हिस्सा लिया और क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया. पलक ने अपनी प्रतिबद्धता और संपूर्ण समर्पण के बलबूते पैरालंपिक में जगह बनाई हैं.

प्रियंका- कहते हैं ना जब जज्बा हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं लगता. प्रियंका की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. रोडवेज के पूर्व बस कंडक्टर मदन पाल की बिटिया प्रियंका 14 साल की थी तो उनकी नौकरी चली गई. पिता टैक्सी चलाकर बच्चों की देखरेख कर रहे थे. तो प्रियंका ने कुछ कर गुजरने के लिए खेल में कदम रखा. सुभाष चंद्र बोस इंस्टीट्यूट पटियाला में उन्होंने दाखिला लिया. पैसे नहीं रहते तो गुरुद्वारे में लंगर खा लेती थी. मेहनत रंग लाई जब फरवरी में राष्ट्रीय पैदल चाल चैंपियनशिप में उन्होंने राष्ट्रीय रिकॉर्ड स्थापित किया. ओलंपिक में भी उनका चयन हुआ. वहां उन्हें 17वीं पोजीशन आई.

कुमकुम रावत- यूट्यूब इंस्टाग्राम जैसी कई प्लेटफार्म पर अपनी जलवा बिखेरने वाली कुमकुम रावत ने साल 2019 से टिक टॉक से अपनी अभिनव की शुरुआत की थी. उनके लाखों फैन थे. हालांकि टिक टॉक बंद होने के बाद उन्होंने अक्दस अमायरा नाम से वीडियो बनाएं. इस वीडियो के बाद उन्हें अभिनेता पंकज त्रिपाठी के साथ स्वर्ण कागज में काम करने का मौका मिला.

शिखा मिश्रा- कोरोना काल के दौरान जब लोगों की आर्थिक स्थिति खराब हो रही थी. रोजगार के अवसर सीमित हो गए. उस वक्त शिखा मिश्रा ने हिम्मत नहीं हारी और इंटीरियर डिजाइनर का काम शुरू किया. इससे ना सिर्फ उन्होंने अपने परिवार को संभाला बल्कि आज 15 में युवाओं को भी रोजगार दे रही है. उन्होंने आत्मनिर्भरता के मंत्र से अपनी और अपने जैसे दूसरों लोगों की जिंदगी संवारने का काम किया है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button