डिजिटल इंडिया: नेटवर्क नहीं मिला तो पेड़ पर लगाया कैंप, जंगल में बनाया 100 लोगों का आयुष्मान कार्ड

डिजिटल इंडिया के दौर में यह तस्वीर हैरान करने वाला है। 4G के बाद अब 5G नेटवर्क की योजना बन रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ के वनांचल गांवों इंटरनेट अब भी दूर की कौड़ी है। शासन द्वारा गांवों में आयुष्मान हेल्थ कार्ड बनाए जा रहे हैं। च्वाइस सेंटरों को इसकी जिम्मेदारी भी दी गई है, लेकिन इंटरनेट सुविधा नहीं होने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ के एक गांव में आयुष्मान कार्ड बनाने बनाने पेड़ पर कैंप लगाना पड़ा है।

गरियाबंद जिले के मैनपुर तहसील मुख्यालय से 18 किमी दूर वनांचल ग्राम पंचायत गोबरा में च्वाइस सेंटर के व्हीएलई डोमेश पटेल आयुष्मान हेल्थ कार्ड बनाने पहुंचे। कर्मचारी कार्ड बनाने के लिए लैपटॉप व अन्य उपकरण लेकर गांव पहुंचे, लेकिन कहीं सिग्नल ही नहीं मिला। नेटवर्क ढूंढते-ढूंढते गांव से लगभग 4 किलोमीटर दूर जंगल के भीतर एक पहाड़ी में सिग्नल मिला। डोमेश पटेल ने वहीं कैंप लगाया और पेड़ के ऊपर चढ़कर बुधवार और गुरुवार को 100 लोगों का हेल्थ कार्ड बनाया। विशेष पिछड़ी जनजाति कमार आदिवासियों के लिए आयुष्मान कार्ड बनाकर डोमेश ने मिशाल भी कायम किया है। च्वाइस सेंटर के संचालक को उसके इस काम के लिए सराहना भी मिल रही है।

जंगल में बारी-बारी ग्रामीणों ने बनावाया आयुष्मान कार्ड 
च्वाइस सेंटर के संचालक डोमेश पटेल ने पहले सड़क के किनारे 4-5 लोगों का फार्म ऑनलाइन भरा, लेकिन नेटवर्क नहीं मिलने से उसकी चिंता बढ़ गई। उन्होंने हार नहीं मानी और एक पेड़ के ऊपर अपने साथी के साथ चढ़ गया। नीचे कुर्सी लगाकर ग्रामीणों से उनका फिंगरप्रिंट लेकर आयुष्मान कार्ड बनाया। जंगल के भीतर ग्रामीण आते गए और सभी का कार्ड बारी-बारी से बनाया गया। ग्राम के सरपंच रामस्वरूप मरकाम और नोडल अधिकारी दामोदर नेगी, पूर्व भाजपा मंडल अध्यक्ष रामदास वैष्णव स्वयं ग्रामीणों को घर-घर से बुलाकर आयुष्मान कार्ड बनवाने में मदद करते रहे।

नेटवर्क नहीं होने से आपातकालीन सुविधा भी नहीं मिलती
डोमेश पटेल ने बताया कि ग्राम गोबरा मे मोबाइल नेटवर्क नहीं है। बहुत मुश्किल से जंगल के भीतर सड़क किनारे एक जगह पर सिग्नल मिला। नेटवर्क ठीक से काम नहीं कर रहा था, तब ऊंचा स्थान ढूंढ कर एक पेड़ पर चढ़कर दो दिनों में 100 ग्रामीणों का आयुष्मान कार्ड बनाया गया है। मैनपुर के हसन खान ने बताया कि वनांचल क्षेत्र में इंटरनेट सुविधा नहीं है। ग्रामीणों को 108, 102 जैसी आपातकालीन एम्बुलेंस सुविधा भी नहीं मिल रही है। कुछ गांवों में निजी कंपनियों के टावर लगे हैं, लेकिन अभी तक शुरू नहीं हो पाये हैं। ग्रामीणों को पहाड़ी के ऊपर पेड़ों मे चढ़कर मोबाइल नेटवर्क ढूंढना पड़ता है।

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