त्वरित टिप्पणी= कर्मचारी हड़ताल समाप्ति पर

दिनेश दुबे
आप की आवाज
*कर्मचारी हड़ताल समाप्ति पर त्वरित टिप्पणी:-*
बेमेतरा=प्रदेश सरकार के कर्मचारियों/अधिकारियों द्वारा केन्द्र के समान34 प्रतिशत महंगाई भत्ता एवं  गृह भाड़ा भत्ता में बढ़ोत्तरी को लेकर पिछले 22 अगस्त से चला आ रहा अनिश्चित कालीन हड़ताल (आंदोलन) 12 दिन के गतिरोध के बाद आज समाप्त हो गया। 03 और 04 सितम्बर को शासकीय अवकाश होने से अब सरकारी काम काज में 05 सितम्बर से गति आयेगी। एक तरह देखा जाये तो 20 एवं 21 अगस्त को शासकीय अवकाश था। इस तरह 16 दिन से विभागीय काम-काज पूरी तरह ठप्प रहा। कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के बेनर तले प्रदेश के लगभग 100 कर्मचारी संगठन हड़ताल पर थे जिसमें लिपिक से लेकर पटवारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, जनपद पंचायत के सीईओ के अलावा न्यायालयीन कर्मचारी भी इसमें शामिल थे। 22 अगस्त से सरकारी काम-काज पूरी तरह ठप पड़ गया था। देखा जाये तो छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद शिक्षाकर्मी के आंदोलन को छोड़कर यह पहली हड़ताल थी, जो बारह दिन तक चली। इसके पहले जुलाई में 25 से 29 जुलाई तक सामुहिक अवकाश का आवेदन देकर सांकेतिक हड़ताल की गई थी। शासन प्रशासन को चलाने के लिए शासकीय अमला सरकार का एक महत्वपूर्ण कड़ी है। लोकतंत्र में सभी को अपनी मांग रखने का अधिकार है। पूरे प्रदेश सहित बेमेतरा जिले के तहसील एवं ब्लॉक स्तर के सभी सरकारी कर्मचारी इस आंदोलन में शामिल हुए। कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के प्रतिनिधि मण्डल ने बीते दिनों देश के आला अफसर मुख्य सचिव से महानदी भवन मंत्रालय में सौजन्य मुलाकात की थी। जिसमें फेडरेशन इससे संतुष्ट नहीं हुआ। प्रदेश सरकार की ओर से कृषि मंत्री की मध्यस्थता में पक्का आश्वासन मिलने पर यह हड़ताल समाप्त कर दी गई है। अब देखना यह है कि आने वाले समय में प्रदेश के कर्मचारियों को इसका कितना लाभ मिल पाता है। सरकार जितना पगार दे रही है उतना तो कर्मचारी काम कर के दिखायें। शासकीय सेवकों का कहना है कि महंगाई बढ़ने से उन्हे समय-समय पर महंगाई भत्ता (डीए) सरकार द्वारा बढ़ाया जाना चाहिए। किन्तु प्रदेश सरकार द्वारा इस पर कोई पहल नहीं किये जाने से हड़ताल में जाने पर मजबूर कर दिया गया। नन्हा बच्चा जब तक नहीं रोता है तब तक उसकी मां स्तनपान नहीं कराती है। ठीक इसी तर्ज पर शासकीय सेवकों द्वारा सामुहिक एकता का परिचय देते हुए हड़ताल का शंखनाद किया गया।

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