
सक्ती। नगर में एक अधिकारी साहब हैं लोगों की नजरों में बड़े ईगो वाले, लेकिन पैसे के लिए वैसे ही जैसे कुत्ता हड्डी के लिए करता है।
नेताजी पर एहसान करने की एवज में आज क्षेत्र को भ्रष्टाचार की बदबू में सराबोर करने में कोई गुरेज नहीं कर रहें है। खैर एक बात बताते चलें कि उक्त बातें सिर्फ सूत्रों के हवाले से है लेकिन सूत्र भी ऐसे जो इस भ्रष्टाचार का हिस्सा तो हैं लेकिन दबाव के कारण वो भी क्या करें बेचारे ? अब आते हैं मुद्दे की ओर अधिकारी साहब के पैसे की दीवानगी इतनी बढ़ गई है कि अब उन्हें पैसा के अलावा कुछ नहीं दिखता है, वैसे एक कहावत है कि बिल्ली की आंखों से छिछड़ा नहीं बचता है वैसे ही साहब के आंखों में सिर्फ पैसा ही दिखता है। एहसान का हिसाब साहब पैसे कमा कर चुका रहें हैं। वैसे बता दें कि साहब को एक बड़ा काम मिला करोड़ों का कहते हैं, जिसमें साहब का कमीशन बनता है 3 प्रतिशत, मतलब साफ है कि करोड़ों के काम में साहब कुछ करोड़ तो अंदर करेंगें ही, एक बात और पता चली की कुछ करोड़ का काम भी निकला है जिसमें सीधे कमीशन साहब ले लिए और उस विभाग के एक जनप्रतिनिधि को दिखा दिए ठेंगा।

साहब तो एहसान के कारण कुर्सी पर बैठे हैं लेकिन जनता का प्रतिनिधि बेचारा डेढ़ करोड़ रुपए खर्च कर कुर्सी पाया, यहां यह बातें भी चल रहीं हैं कि जनता के उक्त प्रतिनिधि जो संगठन के भी बड़े पद पर है को साहब ने ठेंगा दिखाते हुए कहा कि ये जो 5 करोड़ का काम है वो मेरे दम पर मिला है और इसका 12 प्रतिशत सीधा सरकार में बैठे हुए लोगों के पास जाएगा, बेचारा जनता का प्रतिनिधि करता भी क्या उसने खून का घूट पिया और हो गया शांत, लेकिन एक मजेदार बात भी पता चली, ये जो काम विकास के नाम पर आया है और 12 प्रतिशत पहले, फिर इसमें 15 से 17 प्रतिशत का बंदरबांट अलग से होगा और जो काम करेगा वो भी तो 20 से 25 प्रतिशत कमाएगा ही उसमें भी सरकारी करों की मार मतलब साफ है कि उक्त विकास कार्य से विकास होगा कि नहीं लेकिन साहब के तिजोरी का विकास जरूर हो रहा है। वैसे एक नेता ने कभी कहा था कि जो पैसा दिल्ली से जनता के लिए निकलता है वो वहां पहुंचते तक 15 से 20 प्रतिशत ही बच पाता है। लेकिन अभी जो पैसा निकला है वो दिल्ली से नहीं बल्कि रायपुर से निकला है और धरातल में सिर्फ 40 प्रतिशत तक ही पहुंच रहा है। एक ओर नेता चुनाव के समय चीख चीख कर चिल्लाते हैं कि भ्रष्टाचार खत्म करेंगे वही जब सत्ता में बैठ जाते हैं तो उनके नुमाइंदे सिर्फ अपनी तिजोरी भरने में लगे रहते हैं। लेकिन वर्तमान में उक्त भ्रष्ट अधिकारी की कारगुजारी से आला अधिकारी भी अनभिज्ञ नहीं हैं लेकिन क्या करें देश के कद्दावर नेता जो इनके एहसान तले दबे हुए हैं। साहब जी के कारनामों की चर्चा सक्ती से होते हुए जांजगीर, बिलासपुर, रायपुर और अब दिल्ली तक पहुंच चुकी है। समाचारों में भले साहब का नाम नहीं है लेकिन साहब की पहचान भी हमारे बुद्धिजीवी पाठक कर रहें हैं। अब थोड़ा नेताजी पर भी आ जाते हैं, नेताजी बहुत बड़े कद, पद के हैं, उनके सामने अच्छे अच्छे नतमस्तक हैं और यह भी सच है कि नेता जी दिल के बहुत भले हैं, लोगों से कुछ ही देर के लिए नाराज होते हैं और फिर तुरंत मान भी जाते हैं लेकिन नेताजी को इन छोटी मोटी बातें उनके करीबी नहीं बताते हैं, यही कारण है कि उनके भलमनसाहत का कुछ अवसरवादी अधिकारी गलत फायदा उठाते हैं, उक्त अधिकारी वैसा ही है जो समय पड़ने पर …. को भी चाचा बना लेता है।

वैसे हम मुद्दे से भटक रहें हैं थोड़ा फिर मुद्दे पर आते हैं, हां तो मैं नेताजी के बारे में बता रहा था, नेता जी मन के बहुत अच्छे हैं और क्षेत्र के लोगों को बहुत मान सम्मान भी देते हैं, इसके अलावा क्षेत्र के लोगों के लिए उनका दर दिन रात खुला रहता है, मगर नेताजी की अच्छाई का या भले मन का फायदा उठानेवाले कुछ भ्रष्ट अधिकारी भी हैं जिनमें से एक ये हमारे साहब भी हैं, रेवड़ी की तरह 12 प्रतिशत लेकर किसी को 30 लाख किसी को 35 लाख तो किसी को 40, 45 तक का दे दिए और जिन्हें काम दिए हैं उनमें से अधिकांश लोग नेताजी के खास हैं अब बात आती है कि जिन नेता के ऊपर एहसान की बात बोलने वाले ये अधिकारी साहब उन्ही के करीबियों से कमीशन के नाम पर 12 प्रतिशत ले रहें हैं तो इससे भी तो नेताजी को गुस्सा आएगा ही, वैसे नेताजी तक अभी ये बात नहीं पहुंची है लेकिन आग लगा है धुंआ भी उठेगा और धुंआ रायपुर तक भी जाएगा। अगर अधिकारी साहब सच में ऊपरवालों के लिए अग्रिम कमीशन लिए हैं तो फिर कुछ नहीं होगा और अगर ऊपर तक 12 प्रतिशत का हिसाब नहीं पहुंचा तो फिर साहब को अपने तीन करोड़ रुपए कमाने का सपना जिसमें एक करोड़ कमा चुकें हैं का सपना छोड़ना पड़ेगा। वैसे एक कहावत है कि भ्रष्टाचार की कलाई खुलती ही है वैसे ही अब इन अधिकारी महोदय की कारगुजारियों की कहानी भी आर्थिक अपराध शाखा तक पहुंच चुकी है थोड़ी देर से ही सही लेकिन कार्यवाही तो निश्चित है।