दूसरी लहर में लॉकडाउन में पड़ा प्रभाव, लेकिन बाजार खुलते ही व्यापार में आया उछाल

कोरोना की दूसरी लहर का प्रभाव कम होने बाद से व्यापार पूरी तरह खुल चुका है। बाजार में लोगों की आवाजाही भी बढ़ने लगी है। पिछले वर्ष लॉकडाउन में व्यापारियों को बड़ा नुकसान हुआ था। शहर अनलॉक होने के बाद भी व्यापार की रफ्तार भी धीमी गति से बढ़ी थी इसलिए मानसून व्यापार अधिक प्रभावित रहा। महीनों बाद त्योहार के समय बाजार की स्थिति बेहतर हुई थी। दूसरी लहर में व्यापारियों नुकसान हुआ है लेकिन व्यापार खुलते ही ग्राहकी बढ़ने लगी है। इस वजह से मानसून बाजार पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर बताया जा रहा है। बरसात के बाद से मानसून सेल लगने शुरू हो चुके हैं। व्यापारियों का कहना है कि पिछली बार लंबे समय तक लॉकडाउन होने से सभी कारखाने बंद थे इसलिए नया सामान नहीं ला पाए थे। ट्रांसपोर्ट की भी समस्या थी। रेनकोट, छाता, बरसाती चप्पलें भी महंगे दाम में बिके थे। वर्तमान में तेजी से काेराेना का प्रभाव कम होने से बाजार में रौनक लौटने लगी है। मानसून की बिक्री पिछले साल से अधिक है।

व्यापार खोलने के बाद नुकसान नहीं शहर में इस मानसून सेल सामान्य दिनों के तरह लगा है। पंडरी स्थित व्यापारी विक्रम अग्रवाल का कहना है कि दूसरी लहर में संक्रमण का भय कम होने से भी व्यापार तेजी से बढ़ने लगा है। पिछले वर्ष व्यापार खुलने के बाद भी ग्राहक बाजार नहीं पहुंच रहे थे इसलिए अगस्त में मानसून सेल लगाया था। इस बार जून अंतिम में सेल शुरू किया है लोग खरीदारी के लिए पहुंचने लगे हैं। अब हमें प्रचार करना नहीं पड़ रहा। लोग खुद से पहुंचने लगे हैं। उनका कहना है कि दूसरी लहर में बाजार खुलने के एक महीने तक व्यापार प्रभावित रहा है लेकिन अब स्थिति अच्छी हो चुकी है। उम्मीद है कि नुकसान की भरपाई इस बार हो जाए। पिछले वर्ष मानसून में संक्रमण का प्रभाव होने से व्यापार को खोलने बाद भी नुकसान हुआ था।

मांग अनुसार चीजें उपलब्ध कोरोना की दूसरी लहर में भी स्कूल व कॉलेज बंद होने से मानसून बाजार में रेनकोट और छाता की बिक्री प्रभावित रही है। मालवरी रोड स्थित व्यापारी महेंद्र ठक्कर का कहना है, शहर अनलॉक होने बाद से बाजार में लोग खरीदारी के लिए लोग पहुंच रहे हैं। इस बार ग्राहक की मांग अनुसार चीजें उपलब्ध हैं इसलिए महंगे हुए रेनकोट भी आसानी से बिक रहे हैं। पिछले वर्ष लॉकडाउन में कारखाने बंद होने से सभी चीजें महंगी थीं। वैरायटी भी अधिक नहीं थी इसलिए महंगे दाम की चीजें नहीं बिक रही थीं। उनका कहना है पिछले मानसून से इस बार व्यापार काफी अच्छा है। बचा हुआ सामान भी अब बिकने लगा है। संक्रमण की स्थिति ऐसी रही तो त्योहार के समय व्यापार और भी अच्छा रहेगा।

बिकने शुरू हुए रेनकोट और छत्ते पहली बारिश की फुहार के साथ ही बाजार में रेनकोट और छाते की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ बढ़ने लगी है। व्यापारी राजेश मित्तल का कहना है कि पिछले साल की तरह छोटे बच्चों के रेनकोट और छाता नहीं बिके रहे। सप्ताहभर गर्मी बढ़ने से ग्राहक कम हैं लेकिन बारिश होती है। एक दिन में 50 फीसदी बढ़ जाती है। इस बार संक्रमण का प्रभाव कम है और मानसून भी समय से आया है। इसका फायदा मानसून बाजार में हुआ है। दूसरी लहर में व्यापार पर प्रभाव अब 40 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि रेनकोट और छाते के दाम इस बार 20 से 50 रुपय महंगे हुए हैं लेकिन इससे बिक्री में ज्यादा फर्क नहीं आया है। पिछले वर्ष 200 रुपय में रेनकोट बाजार में आया था। वर्तमान में उसकी कीमत 250 हो चुकी है। इसी तरह 150 का छाता 180 में बिक रहा है। जून में 30 से 40 प्रतिशत व्यापार हुआ है। पिछले मानसून में यह 10 प्रतिशत था। बरसाती चप्पल की बढ़ी मांग मानसून शुरू होते ही अब बारिश में उपयोग में आने वाली चीजों की बिक्री भी शुरू हो गई है। बाजार में इनदिनों बरसाती चप्पलों की बिक्री बढ़ी हुई है। व्यापारियों का कहना है कि शहर खुलने के बाद इस बार व्यापार सामान्य होेने में लंबा समय इंतजार करना नहीं पड़ा। दूसरी लहर में व्यापार की स्थिति बीते फरवरी के जैसी है जब संक्रमण कम होने से पहले के तरह लोग खरीदारी के लिए पहुंचने लगे थे।

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