
नापतौल विभाग की अनदेखी बिगड़ी हुई तराजू और पुराने बांटों से कर रहे तौल
सूरजपुर। नापतौल विभाग की अनदेखी के कारण शहर व ग्रामीण क्षेत्र में तराजू बाटों में कई तरह की खराबियां बनी रहती है, लेकिन विभाग अनदेखी करते हुए टाल-मटोल करता है। इससे उपभोक्ताओं को नुकसान उठाना पड़ता है। विभाग की अनदेखी की वजह से चालबाज कुछ लोग अपना उल्लू सीधा करने में लग गए हैं। बाजारों व दुकानों में देखा जा सकता है कि दुकानदार अपनी बिगड़ी हुई तराजू और पुराने बिना सील लगे बांटों से ही काम चलाते रहते हैं। यहां तक कि तराजू की कड़ी चड़ी रहती है, उसी से नाप तौल करते रहते हैं। नापतौल विभाग के द्वारा कोई चेकिंग अभियान या मुहिम नही चलाई जाती है। सिर्फ कागजी खानापूर्ति करते हैं। यही वजह है कि कुछ लोग चालाकी के साथ उपभोक्ताओं को कम सामान तौल कर मुनाफा कमाते रहते हैं। सूरजपुर सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों के बाजार में नापतौल विभाग के कर्मचारी तराजू बांट देखने बाजार नहीं पहुंचे हैं। इसका फायदा व्यापारी दुकानदार व फुटकर व्यवसायी उठा रहे हैं। बाजार में अधिकांश तराजू को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनकी तराजू कितना ठीक है। उनका तराजू बिना सामान रखे भी झुकी हुई दिखती है। फिर उस पर सामान रखने के बाद भी वह उसी तरह झुकी पाई जाती है। ज्यादा बात करने पर बहस की स्थिति बन जाती है। ग्राहकों को सही मात्रा में वजन मिले यह तय करना नापतौल विभाग की जिम्मेदारी है। नापतौल विभाग का काम है कि यह इस्तेमाल किये जा रहे उपकरणों की सही तरीके से जांच करे और जो शख्स कम नापतौल कर रहा है उसके खिलाफ मामला दर्ज कर कार्यवाही करें। लेकिन विभाग के अधिकारी को फुर्सत ही नही है। सूरजपुर के साप्ताहिक बाजार में कुछ दुकानदार वर्तमान में पत्थर के बाट का इस्तेमाल करते देखे जा सकते हैं।
यह है मापदंड
बाट मापने तौलने मापने के यंत्र जैसे लकड़ी, डंडी, ईट, पत्थर का प्रयोग नहीं होना चाहिए। यह अवैधानिक और दंडनीय अपराध है। जानकारी होने पर विभाग को कार्यवाही करनी चाहिए। तराजू की भूजा पर निरीक्षक की सील लगी होनी चाहिए इससे उसकी वैधता की पुष्टि होती है।
प्रभारी कलेक्टर लीना कोसम से संपर्क कर उनका पक्ष जानने की कोशिश किया गया पर उन्होंने मोबाईल रिसीव नहीं किया जिससे उनका पक्ष ज्ञात नही हो सका