
नारी का अपमान अब नही सहेगा हिंदुस्तान : राज्यसभा सांसद श्रीमती फूलोदेवी नेताम
आक्रमक रुख अपनाते हुए श्रीमती नेताम ने कहा:- जिस सभा और राज में नारी का अपमान होता है, उनका सर्वनाश निश्चित है
आशीष तिवारी आप की आवाज रायपुर
रायपुर। राज्य सभा सांसद व छत्तीसगढ़ महिला कांग्रेस कमेटी के प्रदेशाध्यक्ष श्रीमती फूलों देवी नेताम ने अपने और अपने सहयोगी राज्य सभा सांसद श्रीमती छाया वर्मा के साथ देश के सर्वोच्च (उच्च) सदन में हुए हिंसात्मक हमले के बाद चुप्पी तोड़ते हुए केंद्र सरकार पर आक्रमक रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि देश के सर्वोच्च (उच्च) सदन में जिस ढंग से नारी शक्ति की आवाज को दबाने के लिए सुनियोजित ढंग से हिंसात्मक हमले की गई थी, इस घटना से आज पूरा हिंदुस्तान शर्मिंदा है। उन्होंने कहा कि मैं जब भी अपने साथ हुए घटना को याद करती हूं तो दिल दहल जाता है। उन्होंने खुले शब्दों में इस घटना के लिए देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया है। सांसद श्रीमती नेताम ने कहा कि देश के सदन में उनके साथ हुए अन्याय को जनता की अदालत में ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिए देश व्यापी अभियान भी चलाया जाएगा, इनकी शुरुआत छत्तीसगढ़ से हो गई है। सांसद श्रीमती नेताम ने इसके लिए ” नारी शक्ति का अपमान अब नही सहेगा हिंदुस्तान” का नारा भी दिया है।
सांसद श्रीमती नेताम ने भारत की प्राचीनतम सनातन धर्म का उदाहरण भी दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है- ‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। महाभारत में कहा गया है कि जिस कुल में नारियों की उपेक्षा भाव से देखा जाता है उस कुल का सर्वनाश हो जाता है। उन्होंने कहा की सतयुग और द्वापर युग की सभा में नारी शक्ति स्वरूपा को अपमानित किया तब उस सभा और राज का भी सर्वनाश हुआ है।
सांसद श्रीमती नेताम ने कहा कि देश के उच्च सदन में हम छत्तीसगढ़ की जनता के हक और उनके न्याय के लिए आगे भी अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। देश में बढ़ते खाद्य पदार्थो और ईंधन आइलो की महगांई, किसानों को दमन करने वाले किसान बिल के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते रहेंगे। आज समूचा देश मंहगाई के जल रहा है। आज लोगों का जीवन अस्त व्यस्त हो गया है और केंद्र सरकार अमृत उत्सव मनाने में व्यस्त है।
उन्होंने कहा कि यह ना तो सतयुग और ना ही द्वापर युग है।
यह तो कर्म और धर्म युग है। इस युग में हमारे कर्म और धर्म को दबाने की कोशिश की जाएगी तो उनका भी सर्वनाश होना तय है।