भिलाई का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया, शहरवासियों ने जताया गौरव और आभार

भिलाई । आज भिलाई शहर का स्थापना दिवस बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। शपथ फाउंडेशन द्वारा सिविक सेंटर पार्किंग में आयोजित कार्यक्रम में शहरवासियों ने एकजुट होकर अपने प्रिय भिलाई को धन्यवाद दिया। इस अवसर पर भिलाई के नवरत्नों का सम्मान किया गया, जिन्होंने शहर के विकास और प्रगति में अहम योगदान दिया है।

यह आयोजन पिछले 9 वर्षों से लगातार आयोजित किया जा रहा है और इस बार भी शहरवासियों का जोश देखने लायक था।

सद्भावना दौड़ और सांस्कृतिक कार्यक्रम

कार्यक्रम के तहत सद्भावना दौड़ आयोजित की गई, जो सभी समुदायों को एकता और भाईचारे का संदेश देती है। इसके अलावा, विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया, जिसमें शहरवासियों ने अलग-अलग प्रांतों की पारंपरिक वेशभूषा धारण कर ‘मिनी इंडिया’ की झलक प्रस्तुत की।

इस अवसर पर महापौर नीरज पाल, विधायक रिकेश सेन, उद्योगपति, समाजसेवी और भिलाई स्टील प्लांट (BSP) के अधिकारी भी उपस्थित थे।

भिलाई का ऐतिहासिक महत्व

2 फरवरी 1955 को भारत और सोवियत रूस के बीच हुए एक महत्वपूर्ण समझौते के तहत भिलाई स्टील प्लांट (BSP) की स्थापना की गई थी। यह समझौता भारतीय औद्योगीकरण के इतिहास में क्रांतिकारी कदम था, जिसने न केवल भारत को एक प्रमुख स्टील उत्पादक देश बनाया बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती दी।

भिलाई स्टील प्लांट की स्थापना से शहर का औद्योगिक विकास तेज़ी से हुआ, जिससे यहाँ रोजगार के अवसर बढ़े और जनसंख्या में वृद्धि हुई। आज भिलाई भारत के सबसे बड़े और प्रमुख औद्योगिक शहरों में से एक बन चुका है।

संस्कृति और विकास का केंद्र

भिलाई विभिन्न जातीय और सांस्कृतिक समूहों का संगम है। बीएसपी की वजह से यहाँ विभिन्न राज्यों से आए श्रमिकों और पेशेवरों का आवागमन हुआ, जिससे शहर की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा।

शहर में प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थान और आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जो शहर के विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

भिलाई – औद्योगिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक

भिलाई आज केवल एक औद्योगिक केंद्र ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक रूप से भी एक महत्वपूर्ण शहर बन चुका है। इसकी औद्योगिक समृद्धि और सांस्कृतिक विविधता ने इसे न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है।

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