रायपुर। कोरोना त्रासदी के बीच एक ओर जहां मानवीय पहलुओं को जीवंत करती बातें सामने आती हैं, तो वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इस आपदा को भी कमाई के अवसर के तौर पर देख रहे हैं… खास तौर पर स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं में लगे कई निजी अस्पताल और इनके कर्मी..ऐसे ही तत्वों पर अब छत्तीसगढ़ सरकार ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है… अलग-अगल जिलों में कलेक्टर के निर्देश पर जांच टीमों ने कई अस्पतालों में छापेमारी कार्रवाई की है… कई अस्पतालों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा जा रहा है… लेकिन यहां सवाल ये उठ रहा है की क्या सरकार और जिला प्रशासन ने निजी अस्पतालों की इस मनमानी पर कार्रवाई करने में देरी की है…? और क्या कार्रवाई भर से मरीजों और परिजनों की परिशानियां कम हो जाएगी..?कोरोना काल में नियमों की अनदेखी, फायदे के लिए जान से खिलवाड़, कोरोना काल में आपदा को अवसर बनाने में छत्तीसगढ़ के कई निजी अस्पताल जुटे हुए हैं… कहीं बेड नहीं.. तो कहीं इलाज की कोई व्यवस्था नहीं मगर मनमानी फीस वसूलने में निजी अस्पताल प्रबंधक कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा… प्रशासन को लगातार शिकायतें तो मिल रही है मगर कार्रवाई होते-होते मरीजों के परिजनों की जेब ढीली हो जा रही है… हालांकि प्रदेश की जनता को राहत पहुंचाने के लिए भूपेश सरकार ने जांच से लेकर इलाज और बेड के दाम तो तय किए हैं मगर निजी अस्पतालों द्वारा सरकार के इन आदेशों की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही है ।हाल ही में रायपुर के बांठिया नर्सिंग होम,राजनांदगांव के सुंदरा मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पीटल औऱ अंबिकापुर के एकता अस्पताल में शासन की ओर से तय किए गए शुल्क से अधिक वसूलने की शिकायतें मिली थी… इन निजी अस्पतालों से इलाज के नाम पर निर्धारित सीमा से अधिक राशि लेने, रेमिडसिविर दवा की उपलब्धता में गड़बड़ी करने, कोविड अस्पताल में पंजीकृत नहीं होने के बावजूद संक्रमितों को भर्ती कर रुपये ऐंठने, रुपये लेकर एडमिशन करने और ऑक्सीजन सिलिंडर न होने का हवाला देकर मरीज को डिस्चार्ज करने आदि की शिकायतें मिली थीं… इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन की टीम ने अस्पतालों की जांच की और जांच सही पाए जाने पर इन हॉस्पिटल के खिलाफ कार्रवाई की गई है… कुछ को पेनाल्टी लगाई गई है…तो कुछ हॉस्पिटल का लाईसेंस कुछ समय के लिए सस्पेंड कर दिया गया है ।इधर इस पूरे मामले में सियासत भी तेज हो रही है… प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कोरोना को रोकने और इलाज दोनों ही मामले में प्रदेश सरकार असफल है… वहीं सरकार का कहना है कि अस्पतालों द्वारा की गई गड़बड़ी का मामला सामने आने पर तुरंत कार्रवाई की जा रही है ।
निजी अस्पताल प्रबंधन की मनमानी लगातार जारी है….और आम लोग और मरीज इस मनमानी के शिकार हो रहे है… भले ही शासन की ओर से एसे अस्पतालों पर कार्रवाई जारी है…लेकिन इसमें काफी देरी होने से अस्पताल प्रबंधन को हावी होने का मौका मिल गया है और मरीजों को जो परेशानियों का सामना करना पड़ रहा वो कई सवाल खड़े करता है।
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