निरंतर हो रहा पाॅलीथिन का उपयोग, कागजों तक सिमटी कार्रवाई छोटे से लेकर बड़े दुकानदार सब धड़ल्ले से कर रहे इस्तेमाल

बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन। नगर में प्रतिबंध के बावजूद भी पाॅलीथीन का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। दुकानदार बिना किसी भय के पाॅलीथीन में भरकर ग्राहको को बेच रहे है। सालो बित गये लेकन नगर पंचायत लवन में खानापूर्ति तक भी कार्रवाई नहीं हुई है, इसी के चलते नगर में बेखौफ छोटे दुकानदार से लेकर बड़े दुकानदार पाॅलीथीन से ग्राहकों को सामान बेच रहे है। दुकानदारों के दुकान के आसपास बड़ी मात्रा में पाॅलीथीन बिखरे हुए दिख जाएगे। मालूम हो कि प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का जमीन या जल में इकट्ठा होना प्लास्टिक प्रदुषण फैलाता है, जिससे वन्य जन्तुओं या मानवों के जीवन पर बुरा भ्रवाव पड़ता है। जितना नुकसान पाॅलीथिन केरी बैग से होता है। उससे कई ज्यादा नुकसान प्लास्टिक की वस्तुओं से है जो कचरे में शामिल है और कभी नष्ट नहीं होता है। वही, सड़क पर घूमने वाले आवारा मवेशी कचरे में पड़ी प्लास्टिक और पाॅलीथिन खा लेते है, जो उनके लिए घातक साबित होती है। इस दिशा में कठोर कदम उठाने कीजरत है। पाॅलीथिन के इस्तेमाल पर लगाई गई रोक पर लोग भी गंभीर नहीं हो रहे है। जिसकी वजह से प्रतिबंध के आदेश मजाक बने हुए है। नगर पंचायत के द्वारा ध्यान नहीं देने के चलते पाॅलीथिन प्रतिबंध पर रोक नहीं लग पा रही है। गौरतलब है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत सन् 2017 में पूरे प्रदेश में पाॅलीथिन केरी बैग पर प्रतिबंध लागे है। पाॅलीथिन कैरी बैग पाए जाने पर सजा का प्रावधान भी है। किन्तु अभी तक नगर पंचायत द्वारा एक दो बार ही खानापूर्ति के तहत ही कार्रवाई किया गया है। जिसके चलते किसी को भी इसके प्रतिबंध का खौफ नही है। प्रशासन को समय-समय पर पाॅलीथिन प्रतिबंध पर अभियान चलाकर कार्रवाई करनी चाहिए, कार्रवाई के अभाव में पाॅलीथिन का उपयोग निरंतर हो रहा है। यदि समय रहते रोक नहीं लग पाई तो इसके पर्यावरण को भयानक परिणाम झेलने पडे़गे। पाॅलीथिन से यह नुकसान

पाॅलीथिन के प्रयोग से सांस और त्वचा संबंधी रोग तेजी से बढ़ रहे है। स्थिति यह है कि पाॅलीथिन के उपयोग के कारण लोगो पर जीवन भर रोगों का संकट मंडराता रहता है। नष्ट नहीं होने की वजह से भूमि की उर्वरा शक्ति को खत्म कर रही है। वही, पाॅलीथिन की थैलिया बड़ी संख्या में मवेशियों के पेट में भी चली जाती है, जिससे उनकी असमय मौत हो जाती है। गलोबल वार्मिग का कारण

पाॅलीथिन को जलाने से उससे निकलने वाला धुंआ ग्लोबल वामिंग का बड़ा कारण है। पाॅलीथिन का कचरा जलाने से विशैली गैस निकलती है। इनसे सांस, त्वचा आदि की बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है।यह है समस्या का विकल्प

पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के लिए हमें कपड़ा, जूट, कैनवास, नायलान और कागज के बैग का इस्तेमाल सबसे अच्छा विकल्प है। इन विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए जनता में जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। लोगों को भी अपनी आदत में बदलाव लानी चाहिए। घर से बाजार के लिए निकले तो कपड़ा या जूट का बैग को साथ लेकर जाना चाहिए। होगी कार्रवाई

पाॅलीथिन प्रतिबंध पर मुनादी कराये है, सोमवार से अभियान चलाकर लगातार कार्रवाई करेंगे। इससे पहले भी पाॅलीथिन को लेकर कार्रवाई हो चूकी है, आगे भी जारी रहेगी। खीरसागर नायक, सीएमओ नगर पंचायत लवन

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