
पखांजूर से बिप्लब कुण्डू–15.6.22
पखांजूर पीव्ही 117 राजेंद्रनगर में अग्निहोत्र देशी गोपालन जैविक कृषि आयुर्वेद की जानकारी प्रदान किया गया।
पखांजूर–
सर्वप्रथम नवनीत चावला नें अग्निहोत्र के बारे मे जानकारी देते हुए कहा की इसे सूर्य उदय और सूर्यास्त के समय करने से विशेष लाभ इसमें गोबर के कंडे देसी घि चावल कपूर के जलने से कई टन ऑक्सीजन कि उत्पत्ति होती है वो पर्यावरण को शुध्द करती है। इसके भस्म से जल को साफ किया जाता है मंजन भी कर सकते है। समर नाथ यादव रायपुर से उन्होंने कहा की देसी गोपालन से किसान अर्थिक रूप से मजबुत बनेगा इसका दूध 80 रुपये लीटर है घि 3000 रुपये किलो हैं।अगर किसी को गिर गो चाहिए तो ये दान करते है, 34 किस्म की देसी गो जैसे गिर, कौशलली,शाहीवाल, थापरवार , सिंधी आदि जो दूध अच्छा देती हैं। और हम जो जर्सी गाय पाल रहे हैं वो सूअर के जिंस से बना है जो दूध तो देगी पर वो कैंसर कारक हैं। विनय साहू जो धमतरी से है उन्होंने प्राकृतिक कृषि की चर्चा किया। जो नरवा घुरवा,गरवा बाड़ी से सम्भव है, जल बचाना है ग्राम का जल ग्राम मे इकठ्ठा करना है, देसी गो पालन करना है, और अपना खाद्य बनाकर जीरो बजेट मे फार्मिंग करना हैं। देसी बीज का प्रयोग करना है तब कोई बीमारी हमें छू नहीं सकती। एक किलो देसी गाय के गोबर से तीन करोड़ सुक्ष्म जीवाणु होते है जो देसी केचुआ को ऐक्टिव करती हैं और भूमि भुरभुरा होते जाते है। आयुर्वेद के जानकार धर्मेंद साहू नें कहा की हमे प्राकृतिक रूप से खान पान करे तो किसी भी प्रकार कि एलोपैथिक इंजेक्शन दवाई की जरूरत नहीं है। कीटनाशक का प्रयोग बंद कर दे नीम पत्र और गो मूत्र से काम हो जायेगा। ।
उक्त शिविर का संचालन गिरीश प्रामाणिक ने किया जो कि प्राकृतिक कृषि करते हैं नें कहा कि ग्रामीण को हर प्रकार का सहयोग करेंगे प्राकृतिक कृषि को करने गोपालन करने मे धन्यबाद ज्ञापन प्रणव कृतनिया किया इन्हीं के द्वारा ही इन्हीं महानुभावों को यहां पर लाया गया है। कार्यक्रम के आयोजक हाराधन बाला के सहयोग से ये कार्यक्रम सम्पूर्ण करना सम्भव हो सका, इस कार्यक्रम में अनेक संख्या मे ग्रामीण उपस्थित थे,जहाँ पम्पलेट बांटा गया, लाल धान के बीज, और अग्निहोत्र की पात्र भी लोगों को दिया गया।