स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग में मनायी गयी मुकुटधर पाण्डेय जयंती

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*स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग में मनायी गयी मुकुटधर पाण्डेय जयंती
रायगढ़, = जिले के किरोड़ीमल शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग में पं. मुकुटधर पाण्डेय की जयंती के अवसर पर गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विभागाध्यक्ष डॉ. मीनकेतन प्रधान के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम में अतिथि के रूप में डॉ. रंजना मिश्रा एवं डॉ. मनीषा अवस्थी का आगमन हुआ। माँ सरस्वती एवं मुकुटधर पाण्डेय के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण कर आयोजन की विधिवत शुरुआत की गयी। विभाग में अतिथि व्याख्याता के रूप में कार्यरत सौरभ सराफ ने दोनों अतिथियों का परिचय देते हुए स्वागत किया। तत्पश्चात डॉ. रंजना मिश्रा एवं डॉ. मनीषा अवस्थी को पुष्पगुच्छ देकर उनका स्वागत अभिनन्दन किया गया। इस अवसर पर मुकुटधर पाण्डेय की प्रसिद्ध कविताओं का सस्वर गान भी किया गया। स्नातकोत्तर तृतीय सेमेस्टर की छात्राओं सुधा शर्मा, प्रियंका तिवारी एवं वैभवलक्ष्मी पटेल ने कुररी के प्रति, आँचल भोय एवं पुष्पांजलि गुप्ता ने ग्राम्य जीवन व अन्नू चौहान ने कवि कविता का गायन किया। तदोपरांत उद्बोधन का क्रम आरम्भ हुआ। डॉ. रंजना मिश्रा ने इस अवसर पर पं. मुकुटधर पाण्डेय के संपूर्ण जीवनवृत्त पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बालपुर जैसे ग्रामीण अविकसित क्षेत्र में जन्म लेकर भी मुकुटधर पाण्डेय ने अपनी वैश्विक पहचान बनायी ये हमारे लिए अत्यंत गौरव का विषय है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा रचित कविताओं एवं गद्य साहित्य का विशिष्ट महत्व है। उनकी रचनाएँ हमारे लिए अमूल्य निधि हैं। उन्होंने पूजा फूल, कानन कुसुम, लक्ष्मा, मामा, मेघदूत का छतीसगढ़ी अनुवाद इत्यादि रचनाओं का संक्षिप्त परिचय भी दिया। डॉ. रंजना मिश्रा ने बताया कि उनके पी-एच.डी. का विषय भी मुकुटधर पाण्डेय से ही संबंधित है इसलिए उन्होंने उनकी रचनाओं का सूक्ष्म अध्ययन किया है। उन्होंने आज के कार्यक्रम में अतिथि के रूप में बुलाये जाने पर विभाग के सदस्यों को धन्यवाद ज्ञापित किया। डॉ. रंजना मिश्रा के उद्बोधन पश्चात डॉ. मनीषा अवस्थी का उद्बोधन हुआ। उन्होंने बताया कि वे पं. मुकुटधर पाण्डेय की प्रपौत्री हैं इसलिए उनसे उनका साहित्यिक एवं पारिवारिक संबंध भी है। उन्होंने कहा कि उनका परिवार बहुत पहले से बालपुर में निवासरत है और इस स्थान से आधुनिक हिंदी साहित्य के स्वर्ण युग छायावाद का प्रत्यक्ष संबंध है। परिवार से जुड़ी कुछ संस्मरणात्मक यादों को बताते हुए उन्होंने पं. मुकुटधर पाण्डेय के साहित्यिक वैशिष्ट्य को रेखांकित किया। छायावाद काव्यान्दोलन की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए मुकुटधर पाण्डेय को छायावाद का प्रवर्तक बताया। उन्होंने इस अवसर पर कुररी के प्रति, गांधी, प्रार्थना पंचक इत्यादि कविताओं का सस्वर गान किया जिससे विद्यार्थियों में नवीन उत्साह का संचार हुआ। उन्होंने अपने परदादा से जुड़े आयोजन में अतिथि के रूप में सम्मिलित होकर व्याख्यान करने का अवसर देने के लिए स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग के प्रति आभार प्रकट किया। विभागाध्यक्ष डॉ. मीनकेतन प्रधान ने इस अवसर पर पद्मश्री मुकुटधर पाण्डेय के जीवन से जुड़े कुछ संस्मरणों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि मेघदूत के छत्तीसगढ़ी अनुवाद के प्रकाशन कार्य में उनकी सक्रिय सहभागिता थी। डॉ. प्रधान ने कहा कि एक बार साहित्य जगत की प्रसिद्ध कवयित्री महादेवी वर्मा से मिलने पर जब उन्होंने पूछा कि छायावाद के प्रवर्तक मुकुटधर पाण्डेय हैं ना? तो महादेवी जी ने कहा वे उसके नामकरणकर्ता और प्रथम कवि हैं। डॉ. प्रधान ने छायावाद काव्यान्दोलन पर बंगला, रोमांटिसिज्म एवं अन्यान्य प्रभाव की भी चर्चा की और मुकुटधर पाण्डेय को छायावाद के प्रवर्तक के रूप में निरूपित किया। उन्होंने पाण्डेय जी की पंक्तियाँ ‘भाषा क्या वह छायावाद हो न सके उसका अनुवाद’ की भी समीक्षा की। संसार के प्रथम कवि वाल्मीकि की प्रथम कविता और पाण्डेय जी की प्रार्थना पंचक के मूल भाव पर प्रकाश डाला। डॉ. प्रधान ने पाण्डेय जी से जुड़ी स्नातकोत्तर हिंदी विभाग की पुरानी स्मृतियों को बताते हुए कहा कि अच्छा होता एक बार और उनकी आवाज सुनने का अवसर मिल पाता। विभागाध्यक्ष डॉ. मीनकेतन प्रधान ने दोनों अतिथियों का अभिनंदन करते हुए उन्हें शुभकामनाएँ दी। अंत में आभार प्रदर्शन विभाग के सदस्य श्री उत्तरा कुमार सिदार द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मंच संचालन अतिथि व्याख्याता सौरभ सराफ ने किया। आज के इस आयोजन में विभाग के सभी सदस्यों डॉ. रवींद्र चौबे, सुश्री लक्षेश्वरी एवं स्नातकोत्तर प्रथम व तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों ज्योति गुप्ता, प्रीति प्रधान, सुधा शर्मा, आँचल भोय, प्रियंका तिवारी, अलका प्रधान, आरती एक्का, उर्मिला कुजूर, कुमुदिनी पैंकरा, कविता खलखो, प्रेमा कुजूर, नागेंद्र निषाद, परमानन्द सिदार, जयप्रकाश चौहान ओमप्रिया सागर, लता चौहान, प्रीति कुजूर, केतकी प्रधान, अवंतिका निषाद, उषा निषाद, सपना प्रधान, शैलेन्द्र सिंह राठिया, नरहरि प्रधान, कौशल साव इत्यादि की सक्रिय सहभागिता रही।

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