प्रदेश के बच्चों को मिड डे मील में मिलेगा चिकन और मटन, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

नई दिल्ली: मुस्लिम आबादी वाले केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के स्कूली बच्चों को मिड डे मील के रूप में मीट-चिकन मिलता रहेगा। सर्वोच्च न्यायालय ने लक्षद्वीप प्रशासन से इस संबंध में केरल उच्च न्यायालय के अं​तरिम आदेश को जारी रखने के लिए कहा है। उच्च न्यायालय ने मिड डे मील के मेन्यू में माँसाहारी उत्पादों को शामिल रखने के निर्देश दिए थे। शीर्ष अदालत ने सोमवार (2 मई 2022) को मेन्यू से चिकन समेत अन्य माँस उत्पादों को हटाने और डेयरी फार्म बंद करने से जुड़ी लक्षद्वीप प्रशासन के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिए।

सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की बेंच ने ये निर्देश देते हुए याचिका पर केंद्र सरकार, लक्षद्वीप प्रशासन व अन्य को नोटिस भी जारी किया है। सर्वोच्च न्यायालय में अब गर्मियों की छुट्टियों के बाद इस मामले की सुनवाई होगी। इस बीच, केरल उच्च न्यायालय द्वारा 22 जून 2021 को दिया गया अंतरिम आदेश बरकरार रहेगा। हाई कोर्ट ने 22 जून 2021 को लक्षद्वीप प्रशासन के डेयरी बंद करने और स्कूली बच्चों के मिड डे मील से चिकन, अंडे समेत अन्य माँस उत्पादों को हटाने के फैसले को अमल में लाने पर रोक लगा दी थी। उच्च न्यायालय ने कवरत्ती के मूल निवासी अजमल अहमद की जनहित याचिका को ठुकराते हुए यह आदेश दिया था। यह याचिका सितंबर 2021 में दाखिल हुई थी। याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया था कि प्रफुल्ल खोड़ा पटेल के लक्षद्वीप प्रशासक बनने के बाद से उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता पशुपालन विभाग द्वारा चलाए जा रहे डेयरी फार्म को बंद करना और काफी समय से चली आ रही स्थानीय लोगों के भोजन की आदतों पर ‘हमला’ करना है।

 

अहमद ने पशुपालन निदेशक के 21 मई 2021 के उस आदेश को अदालत में चुनौती दी थी, जिसमें सभी डेयरी फार्म को बंद करने के निर्देश दिए गए थे। याचिकाकर्ता ने लक्षद्वीप में स्कूली बच्चों के लिए मिड डे मील के मेन्यू से चिकन और अन्य माँस उत्पादों को हटाने संबंधी प्रशासन के फैसले को भी चुनौती दी है।

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