भारत में प्याज का खासा महत्व है. इसे चाहे तामसिक सब्जी माना जाए, लेकिन रसोई में इसका जबर्दस्त दखल है. सब्जी में स्वाद भरने और उसे गाढ़ा करने में प्याज की भूमिका महत्वपूर्ण है. असल में प्याज सब्जी भी है और औषधि भी. आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धति में प्याज को गुणकारी माना गया है. वैसे भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में प्याज का वर्णन है. इस सब्जी का जन्म भारत में नहीं हुआ है, इसके बावजूद करीब दो हजार साल से यह रसोई में धाक मचाए हुए है. आपको यह भी बताते चलें कि भारत की राजनीति में प्याज का खासा दखल है और जब यह महंगी होती है तो देश में राजनैतिक और सामाजिक बेचैनी फैल जाती है. दिल्ली की एक सरकार को बदलने का कारण भी बन चुकी है प्याज. बाइबिल और कुरान में भी प्याज का वर्णन किया गया है.
भारत के धार्मिक ग्रंथों में प्याज को तामसिक बताया गया है. इसके बावजूद इसके जलवे कम नहीं हुए हैं. उसका कारण यह है कि इसमें गुण भरपूर हैं. हर सब्जी का यह स्वादिष्ट बना देता है. मुगलई भोजन तो प्याज के बिना पूरा ही नहीं होता है. असल में प्याज सर्वग्राही और सर्वव्यापी है. एक जानकारी के अनुसार दुनिया के करीब 175 देशों में प्याज की खेती होती है. यह संख्या गेहूं पैदा करने वाले देशों से लगभग दोगुनी है. इसकी खपत का हाल यह है कि करीब 90 प्रतिशत प्याज का प्रयोग को उसे पैदा करने वाले देशों में ही हो जाता है. पूरे विश्व में जितना प्याज उगाया जाता है, उसका करीब 45 प्रतिशत उत्पादन भारत और चीन में होता है. लेकिन प्रति व्यक्ति खपत के मामले में सबसे अधिक प्याज लीबिया में खाई जाती है.
एक शोधपत्र के अनुसार 3200 ईसा पूर्व मिस्र के मकबरों में प्याज को आहार के रूप में दर्शाया गया है. इससे पहले करीब 4 हजार ईसा पूर्व मिस्र की सभ्यता में प्याज को पूजनीय माना गया है. उस समय के निर्मित पिरामिडों, ममी व मकबरों में प्याज के भित्तिचित्र बने हुए हैं. भारत में प्याज की भौगोलिक उत्पत्ति का कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है. बस, कृषि वैज्ञानिक यह दावा करते हैं भारत में प्याज का आगमन मध्य एशिया से हुआ है. वैसे इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि भारत में प्याज का उपयोग 2000 साल से भी अधिक समय से हो रहा है. प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ में प्याज को पलाण्डु कहा गया है. भारत में मुगलकाल में प्याज का सबसे अधिक प्रयोग हुआ. मांसाहारी मुगलई व्यंजनों को स्वादिष्ट बनाने के लिए प्याज की कारगर भूमिका मानी जाती है. अगर प्रदेश की बात करें तो प्याज की सबसे अधिक खपत राजस्थान में होती है.
हिंदू धार्मिक ग्रंथों में प्याज (लहसुन भी) को तामसिक मानकर इसके परहेज पर बल दिया गया है. इसको लेकर कथा प्रचलित है कि समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत को भगवान विष्णु वितरित कर रहे थे, तब दो राक्षस राहु व केतु ने छल से अमृत पा लिया. विष्णु जी को पता चला तो उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से राहु-केतु का शीश काट दिया. उनकी रक्त की बूंदों से प्याज और लहसुन की उत्पत्ति हुई. जिस कारण इन्हें तामसिक माना गया है. इस्लामिक धार्मिक ग्रंथ कुरान में भी प्याज का वर्णन है. इसके चैप्टर 6 में प्याज के साथ जड़ी-बूटियों, खीरे और लहसुन आदि का जिक्र है. बाइबल में (संख्या 11:5) में एक साथ खीरा, खरबूजा, प्याज व लहसुन का वर्णन किया गया है.
आयुर्वेद में प्याज को चमत्कारी माना गया है. आयुर्वेदाचार्य व नाड़ी विशेषज्ञ डॉ. वीना शर्मा के अनुसार चरकसंहिता के ‘हरितवर्ग:’ में प्याज को कफ व वायुनाशक कहा गया है. यह शरीर में बल पैदा करता है. आधुनिक शोध में प्याज को खासा गुणकारी माना गया है. यह पाचनतंत्र को मजबूत बनाता है, बेड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और इम्युनिटी बढ़ाता है. प्याज में विटामिन ए और सी भी होता है जो बालों और त्वचा को स्वस्थ रखता है. यह जीवाणुरोधी और दर्दनिवारक भी है. अधिक प्याज के कुछ नुकसान भी हैं. पेट दर्द हो सकता है, गैस की समस्या के साथ एसिडिटी बढ़ सकती है. कच्ची प्याज खाने से मुंह में बदबू ओर बकबकापन बढ़ जाता है.
प्याज के बारे में हम आपको यह भी बता दें कि भारत की राजनीति में इसका खासा हस्तक्षेप रहता है. हर साल मॉनसून के दौरान जब प्याज महंगा हो जाता है, तो भारत में सियासी व सामाजिक हलचल बढ़ जाती है. इसकी कमी के चलते वे सरकार को गरियाने लग जाते हैं. लोगों को शांत रखने के लिए सरकार कम दामों पर प्याज बेचने लग जाती है. दिल्ली में तो एक बार टमाटर की किल्लत सरकार बदल चुकी है. वर्ष 1998 में जब दिल्ली में बीजेपी की सरकार थी, तब दिल्ली में प्याज की भारी कमी पैदा हो गई थी. इसी दौरान चुनाव हुए और कांग्रेस ने इसे चुनावी मुद्दा बना लिया. पार्टी के बड़े बड़े लीडर (इनमें अभिनेता सुनील दत्त भी शामिल थे.) गले में प्याज की मालाएं लिए सरकार के खिलाफ प्रचार के लिए निकले. अंजाम, बीजेपी हार गई और दिल्ली में शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी, जो लगातार 15 साल चली.भारतीय भाषाओं में प्याज इन नामों से मशहूर है जैसे- असमिया में पियास, कन्नड़ में नीरूल्लि, गुजराती में डुंगाली और कांदो, तमिल में वैंगायम, तेलुगु उल्लिपया, बंगाली में पेयाज, मराठी में कांदा, मलयालम में कुवानुल्ली, इंग्लिश में Onion.(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)