बेटी कोई संपत्ति नहीं जिसे दान में दिया जाए’, लड़की को तांत्रित को दान करने पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिता तो लगाई लताड़

बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) की औरंगाबाद पीठ ने बेटी को दान किए जाने के मामले पर कड़ी आपत्ति जताई है. दरअसल एक व्यक्ति ने अपनी 17 साल की बेटी को तांत्रिक को दान कर दिया है. इस मामले में कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि लड़की कोई संपत्ति नहीं , जिसे दान (Donation) में दिया जाए. जस्टिस विभा कंकनवाड़ी की सिंगल बेंच ने यह टिप्पणी इस महीने के शुरुआत में तांत्रिक शंकेश्वर ढाकने और उसके शिष्य सोपान ढाकने की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान की. दोनों को नाबालिग के साथ कथित दुष्कर्म (Rape) के मामले में गिरफ्तार किया गया है.

दोनों आरोपी जालना जिले के बदनापुर के मंदिर में पीड़ित और उसके पिता के साथ रहते थे. लड़की ने अगस्त 2021 में दोनों के खिलाफ रेप के आरोपों के तहत कस दर्ज कराया था. जिसके बाद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था. जस्टिस कंकनवाड़ी ने अपने आदेश में अभियोजन के मामले का संज्ञान लेते हुए कहा कि 2018 में 100 रुपए के स्टाम्प पेपर पर लड़की के पिता और ढाकने के बीच ‘दानपत्र’ का पालन किया गया था.

‘नाबालिग बेटी को क्यों दिया दान’

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि,’ ऐसा कहा गया है कि शख्स ने अपनी बेटी का दान बाबा को दे दिया था, ये भी कहा गया है कि यह ‘कन्यादान’ भगवान के सामने किया गया है. वहीं लड़की के बयान के मुताबिक वह नाबालिग है तो फिर उसके पिता ने उसका दान क्यों कर दिया. लड़की का ‘दान’ क्यों कर दिया. जस्टिस कंकनवाड़ी ने इसे परेशान करने वाला तथ्य करार देते हुए कहा कि लड़की कोई संपत्ति नहीं होती, जिसे दान में दिया जा सके.

‘बेटी कोई संपत्ति नहीं जिसे दान दे सकें’

कोर्ट ने कहा कि उन्हें लड़की के भविष्य की चिंता है. इस मामले पर वह अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती. कोर्ट ने बाल कल्याण समिति को इस मामले की जांच करने और उनकी रिपोर्ट कोर्ट में सौंपने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि यह लड़की के भविष्य का सवाल है, उसे किसी गैर-कानूनी गतिविधियों में नहीं शामिल किया जाना चाहिए. बंबई हाई कोर्ट ने दोनों आरोपियों की जमानत को 25-25 हजार रुपए के जमानती बांड पर शर्त के साथ मंजूर करते हुए मामले में अगली सुनवाई 4 फरवरी को तय की है.

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