
भाजपा से विधानसभा टिकट की दावेदारी करने वाले नेताओं के अरमानों पर कहीं सुनील रामदास पानी ना फिर दे
रायगढ़: विधानसभा का चुनाव जैसे जैसे ही नजदीक आते जा रहा है राजनीति सरगर्मियां बढ़ती ही चली जा रही है हर कोई बहती गंगा में हाथ धोने की कोशिश कर रहा है तो अपनी अपनी मांगों को लेकर राजनीति संगठन हो या गैर राजनीतिक संगठन सभी को अब अपनी मांग की याद आई और धरना प्रदर्शन धरना करने के लिए आमादा हो गए
आगे की कड़ी में नजर डाला जाए तो स्थानीय काग्रेस विधायक प्रकाश नायक के खिलाफ हर जगह अपना पैठ बनाने की कोशिश कर रहे ,यही नहीं खुले मंच से भी कई बार टिकट की दावेदारी की बात करने वाले , बाहर से आकर रायगढ़ में अपना बैट बनाने वाले युवा व्यवसाई से हाल ही में बने नेता के बारे में कांग्रेसी और विधायक स्वयं उसको हल्के में ले रहे हैं ,यही नहीं काग्रेस के प्रोटो काल का भी धज्जियां उड़ाते नजर आता है फिर भी जिला कांग्रेस कमेटी और स्थानीय विधायक चुप्पी समझ से परे है हालांकि पूरा मामला काग्रेस परिवार से जुड़ा है लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी में नियमों का धज्जियां उड़ाते हुए अपनी ही नियम के हिसाब से चलता रहता है उसको शह देना इस बार विधानसभा चुनाव में काग्रेस को भारी न पड़ जाए
वहीं दूसरी तरफ बात करें विपक्ष की भूमिका निभाने वाले भारतीय जनता पार्टी में तो वहां की लीला अपरम पार है । बहती गंगा में भाजपा के जितने भी विधायक टिकट की दावेदारी कर रहे हैं हाथ धोने की कोशिश में लगे हुए हैं ऐसे भी दावेदार हैं जो अपने मोहल्ले का पार्षद का चुनाव तक नहीं जीता पाए हैं, मीडिया से ठीक से बात करने में भी हिच करते हैं, पैसे के बल पर इस बार विधायक टिकट पर चुनाव लड़ने का सोच रहे हैं। राजधानी में किसी न किसी बड़े नेता से तालमेल बैठाकर विधायक टिकट का ख्वाब देखने वाले है
उन लोगों की भी तादाद इस बार विधायक टिकट की दावेदारी में बढ़ गई है ऐसे तो एक दो दावेदार हैं जिस पर भाजपा दांव लगा सकती है लेकिन भारतीय जनता पार्टी जो भी कार्य करती हैं सोच पारख कर करती है
कई ऐसे दावेदार हैं जो टिकट के बटवारे में पहली ही लाइन में बाहर आ जाएंगे उनको भी मालूम है कि हम विधायक टिकट के लायक नहीं है चुनाव नहीं जीत सकते तो ऐसे शौक पालना ही क्यों जब काबिलियत ही नहीं है
पिछले विधानसभा चुनाव में दावेदारी करने वाले सुनील रामदास अग्रवाल की चुप्पी इस बार सभी को परेशान कर रही है हालांकि सुनील रामदास अग्रवाल शहर नहीं अपितु जिले के चर्चित नामों में से एक हैं और युवाओं की पहली पसंद है समाजसेवी होने के नाते जो व्यक्ति उनसे मदद मांगता है हर अच्छे बुरे सभी की मदद करते हैं जब किसी बढ़े औधे पर ना होने के बावजूद भी मदद के लिए तैयार रहते हैं तो विधायक के लिए दावेदारी करना क्या बुरा है जबकि पक्ष या विपक्ष के जनप्रतिनिधियों ने कई बार मदद मांगने वाले को बैरंग ही लौटा देते हैं अगर सुनील रामदास अग्रवाल की अचानक विधानसभा चुनाव में प्रवेश होता है तो तो भारतीय जनता पार्टी के विधायक टिकट के दावेदारों के मंसूबे पर पानी फिर जाएगा हालांकि भारतीय जनता पार्टी टिकट के बंटवारे को कोई बड़ा रिक्स नहीं लेना चाहेगी और तमाम छोटी-छोटी गलतियों के वजह से पिछले बार सत्ता से दूर रहने वाली भारतीय जनता पार्टी जो भी कदम उठाएगी सोच समाज और परख के साथ लेगी
