
राजधानी तथा यहां रहने वाले वाले लोगों को पर्याप्त हरियाली मिले इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वन विभाग द्वारा हर वर्ष की तरह घर-घर पौधा वितरण करने का निर्णय लिया गया है। वनमंडलाधिकारी बिश्वेश कुमार के मुताबिक लोगों को उसी दिन पौधा मिले या 24 घंटे के भीतर पौधा मिल सके ऐसी व्यवस्था की गई है। अफसर के दावों के विपरीत जब हरिभूमि की टीम ने दो अलग-अलग नंबर से 27 जुलाई को पौधा पाने वाट्सएप किया तो 10 दिन बाद भी पौधा के लिए संबंधित नोडल अफसर का कॉल नहीं आया और न ही पौधा पहुंचा। गौरतलब है राज्य शासन के निर्देश पर 25 जून से 31 जुलाई तक तुंहर द्वार योजना के तहत लोगों को पौधे वितरण करने घर पहुंच सेवा की शुरुआत की गई है। रायपुर वनमंडल में 25 जून से अब तक औसतन प्रतिदिन पांच सौ के हिसाब से साढ़े छह हजार के करीब लोगों को उनके घर पहुंचाकर पौधा देने का दावा वन विभाग के अफसर कर रहे हैं। वनमंडलाधिकारी के मुताबिक शुरुआती दिनों में पौधों की मांग कम थी लेकिन अब लोगों को मांग के अनुरूप पौधा उपलब्ध कराया जा रहा है। लोग जिस दिन पौधा पाने वाट्सएप कर रहे हैं उसी दि या उसके दूसरे दिन पौधा पहुंचाकर दिया जा रहा है।
औसतन पांच पौैधे वन अफसर के मुताबिक प्रत्येक व्यक्ति को अधिकतम पांच पौधे वितरित किए जा रहे हैं। रायपुर नगर निगम क्षेत्र में पिछले दस दिनों के भीतर छह हजार से ज्यादा पौधों का वितरण किया जा चुका है। जिन लोगों को पौैधा वितरण किया गया है उनमें शहरी से लेकर आउटर के लोग शामिल हैं। वाट्स ऐप करने पर विभाग भेजता है लिंक पौधा मंगाने वन विभाग ने वाट्सएप नंबर 7587011614 जारी किया है। इस नंबर पर पौधा मंगाने मैसेज करने पर विभाग वाट्सएप नंबर पर कॉलर को वन विभाग का एक लिंक भेजता है। लिंक में कॉलर को अपना डिटेल देने के साथ लिंक में दिए गए पौधों के विवरण के हिसाब से पांच प्रजाति के पौधों का चयन करना है। इसके बाद कॉलर के पास पौधे पहुंचाने के पहले वनकर्मी कॉल कर संपर्क करते हैं। साथ ही पौधे पहुंचाने संबंधी मैसेज भेजते हैं।
वाट्सएप से ज्यादा रिस्पांस मैन्यूअल से पौधा वितरण के कार्य में लगे वनकर्मियों के मुताबिक अन्य वर्षों की तुलना में इस वर्ष पौधों का वितरण कम है। पूर्व में शहरी क्षेत्र में पार्षदों के माध्यम से उनके वार्डों में पौधा वितरण करने मैसेज भेज दिए जाते थे। इस लिहाज से एक दिन में औसतन एक हजार से ज्यादा पौधों का वितरण हो जाता था जबकि इस वर्ष वाट्सएप मैसेज के आधार पर लोगों को पौधा वितरण किया जा रहा है। पौधा वितरण करने में व्यवहारिक दिक्कत पौधा वितरण कार्य में लगे कर्मियों के मुताबिक वाट्सएप के माध्यम से पौधा वितरण करने में उन्हें कई तरह की व्यवहारिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उदाहरण के तौर पर यदि वाट्सएप में भेजे गए लिंक के माध्यम से पौधा मंगाता है तो उन्हें समय पर पौधा पहुंचा दिया जाता है। उसी क्षेत्र से कोई दूसरा व्यक्ति बाद में वाट्सएप के माध्यम से पौधा मंगाता है तो उसे पौधा पहुंचाने उसी क्षेत्र में फिर दोबारा जाना पड़ता है। इससे समय के साथ ईंधन की खपत ज्यादा होती है।
इस तरह की परेशानी का सामना वाट्सएप के माध्यम से वन विभाग के अफसरों ने शुरुआत में 40 से ज्यादा प्रकार के पौधा की डिटेल दी थी। इसमें से ज्यादातर पौधे वन विभाग की नर्सरी में ही नहीं थे। वर्तमान में 15 प्रजाति के पौधों का विवरण वाट्सएप के माध्यम से जारी लिंक में विभाग ने दिए हैं। पौधा वितरण करने वाले वनकर्मी नर्सरी से प्राप्त पौधों का वितरण करने जाते हैं तो लोगों को उनकी चाहत के मुताबिक पौधे नहीं मिल पाते। ज्यादातर लोगों की मांग अमरूद, जाम, जामुन, आंवला, नीम, गुलमोहर, नींबू प्रजाति के पौधों की है। जांच करवाता हूूं लोगों को उनके रिस्पांस टाइम में पौधा पहुंचाए जा रहे हैं। जैसा कि आप बता रहे हैं कि 27 तारीख को वाट्सएप किए पौधे अब तक नहीं मिले। इसकी मैं जांच करवाता हूं ऐसा क्यों हुआ।