महंगाई ने तोड़ी गृहणियों की कमर, कहा बिगड़ गया पूरे घर का बजट, एक नजर में बढ़ते दाम पर

भिलाई। पहले कोरोना अब फिर महंगाई ने मध्यम वर्गीय लोगों का जीवन तहस नहस कर दिया है। दिन पर दिन बढ़ती महंगाई से लोग खासे परेशान हो गए हैं। गृहणियों ने कहा कि किचन में महंगाई की आग लग गई है। हर चीज दोगुने दाम में बिक रही है। खाना पीने का सामान ऐंसा है कि जिसमें कटौती नहीं की जा सकती, महंगाई की मार झेलना मुश्किल होता जा रहा है।

नवंबर 2020 से तुलना करें तो मार्च 2022 में खाने पीने के सामान में 7.68 फीसद, खाने के तेल और खाद्य पदार्थों में 18.79 फीसद और सब्जियों के दामों में 11.64 फीसद तक महंगाई बढ़ी है। मार्च 2021 से मार्च 2022 में एक ही साल में उपभोक्ता खाद्य मुल्यों में शत प्रतिशत वृद्धि हुई है।

बढ़ती महंगाई का सबसे बड़ा कारण रुस और यूक्रेन के युद्ध को बताया जा रहा है। खाद्य तेल ज्यादातर रुस और यूक्रेन से आता है। कोरोना से संभलने देश युद्ध के कारण फिर संकट में घिरते जा रहे हैं। भिलाई के थोक सामानों के व्यापारी राकेश जैन बताते हैं कि मार्च 2021 से मार्च 2022 में एक ही साल में उपभोक्त खाद्य मुल्य में शत प्रतिशत वृद्धि हुई है। किराना व्यापारी ज्ञानेश देवांगन बताते हैं कि पिछले एक साल में खाने के तेल की कीमतों में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

एक नजर में बढ़ते दाम पर

गेहूं (प्रति किलो) पहले 18 रुपये किलो अब 28 रुपये किलो

गेंहू का आटा (10 किलो) पहले 375 रुपये अब 490 रुपये

चावल (एक किलो) पहले 45 रुपये अब 55 रुपये

मूंग दाल (एक किलो) पहले 72 रुपये अब 95 रुपये

सब्जियां (प्रति किलो) पहले 40 रुपये के अब 70 रुपये

घी (प्रति किलो) पहले 425 रुपये अब 560 रुपये

सरसो तेल (प्रति लीटर) पहले 80 रुपये अब 180 रुपये

कुकिंग गैस पहले 714 रुपये अब 950 रुपये

दूध (प्रति लीटर) पहले 40 रुपये अब 60 रुपये

पहले एक मध्यमवर्गीय परिवार का राशन पांच हजार रुपये में आ जाता था, अब यह सीधे आठ से नौ हजार रुपये पहुंच तक गया है। चार सदस्यी या उससे ज्यादा सदस्यों वाले परिवार में बढ़ते किचन के बजट ने लोगों को हलकान कर दिया है।

-इन दो सालों में महंगाई ने कमर तोड़ दी है। खाने पीने के सामानों में लगातार बढ़ती महंगाई ने सिर्फ किचन का ही बजट नहीं बिगाड़ा बल्कि पूरे घर का बजट बिगाड़ दिया है। तेल से लेकर सब्जी तक खरीदना मुश्किल हो गया। नींबू में तो मानों आग ही लगी हुई है।

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