महज 17 मिनट में रमैंणी परंपरा से हुई ये शादी बनी मिसाल, अनोखी हैं रस्में…जानिए

महासमुंद. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के महासमुंद (Mahasamund) में एक आदर्श शादी ने मिसाल पेश की है. यह शादी कई मायने में अनोखी थी. इस शादी में मेहमान तो रहे पर कोई दावत नहीं थी. न कोई ऐसा दस्तूर दिखा जो ज्यादातर शादियों में देखने को मिलता है. तस्वीरें देखकर लगता है जैसे शादी समारोह नहीं बल्कि धार्मिक अनुष्ठान चल रहा है. महज 17 मिनट की रमैंणी में एक छोटे से मंच पर गुरु की तस्वीर रखकर दूल्हा-दुल्हन एक-दूसरे के आमने-सामने रहे. घराती और बाराती भी रहे. इस समारोह के दौरान सभी ने हाथ जोड़कर गुरू का ध्यान किया और 17 मिनट के भीतर विवाह संपन्न हो गया. शादी में कहीं भी न वरमाला हुई न, सिंदूर की कोई रस्म और न ही कोई फेरे लिए गए. इस तरह दो युवा नव युगल बन गए.

इस आयोजन से बेटी के पिता बसंत दास भी खुश देखे गए. क्योंकि शादी में कोई दहेज नहीं लिया गया और न ही कोई खर्च हुआ.किसी भी मां-बाप के लिए संतान की शादी बड़ा सपना होता है. बेटी की शादी वह भी बिना दहेज के इस दौर में इससे बड़ी बात क्या हो सकती है.

कबीरपंथी हैं दोनों परिवार

दोनों ही परिवार खुद को कबीर पंथ के मानने वाले रामपाल के अनुयाई बता रहे हैं. कहा जा रहा है कि दहेज और जातिवाद से दूर इस पंथ में यह संस्कार होते हैं, जिसमें कुरीतियों पर प्रहार किया जाता है. इस विवाह को रमैंनी कहते हैं, जिसमें 17 मिनट की रमैंनी पढ़ी जाती है. कहा जाता है कि इसमें 30 करोड़ देवी देवताओं का आह्वान कर, उन्हें साक्षी मानकर विवाह संपन्न होता है और उनका आशीर्वाद मिलता है.

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