महानदी के पानी से आ रही दुर्गंध, किनारे खड़े होकर सांस भी नहीं ले पा रहे लोग

महानदी की अस्मिता बचाये रखने वाले लोग लगातार इस गाद को साफ कराने, इस पहले की तरह निर्मल और साफ बनाने की मांग करते आ रहे हैं लेकिन जिम्मेदारों के कान में जू तक नहीं रेंगती। जिम्मेदारों को इस महानदी की सुध केवल मेले के समय आती है।

नवापारा राजिम। छत्तीसगढ़ की प्रयाग नगरी राजिम जहां महानदी पैरी नदी सोडुर नदियों का त्रिवेणी संगम हैं, इस त्रिवेणी की तुलना यूपी के प्रयाग राज से किया जाता है। यहां भारी संख्या में लोग अनेक धार्मिक कार्यों के लिए आते हैं। मगर इन दिनों महानदी का पानी इतना दूषित हो चुका है की लोग इसके जल पीना तो दूर आचमन नहीं कर सकते हैं। बता दें कि नदिया मड़ई के लिए नदी में बने एनीकेट के गेट खोल दिया गया है, जिससे नदी का पानी बह जाने से पूरी तरह एक मैदान जैसा दिखाई देने लगी हैं। जिसकी वजह से पानी कम होने पर नदी में जमा गाद से आ रही बदबू लोगों के लिए इतनी असहनीय हो गई है कि लोगों का सांस लेना दूभर हो गया है।

नदी की सतह पर गाइ जमने की वजह से नगर सहित आस-पास के क्षेत्र का वाटर लेवल भी दिन ब दिन घटता जा रहा है। राजिम मेले के नाम पर इस जीवनदायिनी महानदी के साथ सरकार खिलवाड़ करती है, यहां महानदी की रेत में प्लास्टिक बोरियों का उपयोग कर मुरुम की सड़के बनाई जाती हैं, जिसे पूरे बरसात में सड़ने के लिए वहीं पर छोड़ दिया जाता है। जिसका कही न कही असर महानदी के बहाज भूमि में दिखने को मिल रहा है।

नवापारा क्षेत्र अंतर्गत तर्री सीमा से नेहरू घाट तक का क्षेत्र गाद से पटकर समतल मैदान बन चूका हैं वहीं त्रिवेणी संगम स्थल भी रेत व घाट से पटकर उथला हो गया है, जहां बीच-बीच में गाद के घने पौधे उग चुके हैं। हाल ही में जब एनिकट का गेट बंद किया गया था तो यह घास पानी में सड़ने लगी थी जिसकी असहनीय बदबू आने लगा थी।
महानदी की अस्मिता बचाये रखने वाले लोग लगातार इस गाद को साफ कराने, इस पहले की तरह निर्मल और साफ बनाने की मांग करते आ रहे हैं लेकिन जिम्मेदारों के कान में जू तक नहीं रेंगती। जिम्मेदारों को इस महानदी की सुध केवल मेले के समय आती है, केवल उस समय महानदी के बचाव उसे साफ सुथरा रखने के उपाय जिम्मेदार विभाग के मंत्री के समक्ष रखे जाते हैं। लेकिन जैसे ही मेला ख़त्म होता है, सब पहले की जैसे महानदी और महानदी के विकास के लिए किये गए वादों को भूल जाते है। यहां वर्षो से स्नान करने वाले लोग बताते है कि पूर्व के समय में महानदी का पानी बहुत ही स्वच्छ एवं निर्मल होता था। जिसे स्पष्ट रूप से देखा जा सकता था।

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