
मां-बाप के हाथों में दम तोड़ रहे बुखार से तपते बच्चे, घरों में मची चीत्कार
हजारों शेर मेरे सो गए कागज की कब्रों में, अजब मां हूं कोई बच्चा मेरा जिंदा नहीं रहता।’ शायर बशीर बद्र ने यह शेर एक बेबस मां के कलेजे से निकले शब्दों से पिरोया गया होगा। फिरोजाबाद में इन दिनों माहौल कुछ ऐसा ही है। बुखार से तपते बच्चे मां-बाप के हाथों में ही दम तोड़ रहे हैं। अस्पतालों में चीत्कार, घरों में मातम और सुनसान गलियां। डेंगू और वायरल के प्रकोप ने सुहागनगरी को अपनी चपेट में ले लिया है। सरकारी विभाग एक-दूसरे पर इस महामारी का ठीकरा फोड़ने में जुटे हैं।
सुहागनगरी में गुरुवार को भी तीन बच्चों की मौत हो गई। इनमें आठ साल का हर्ष, डेढ़ माह का ऋषभ और सिर्फ छह माह की मनु शामिल हैं। तीनों के परिजनों ने बताया कि तेज बुखार के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। फिरोजाबाद में इन दिनों घर-घर की यही कहानी है। मां-बाप की आंखों के सामने उनके कलेजे के टुकड़ों की सांसें थम रही हैं। उधर, टूंडला में पांच वर्षीय नैंसी ने दम तोड़ दिया।
बुधवार देर रात और गुरुवार को हुईं इन तीनों की बच्चों की मौतों के अलावा जिले में अब तक 14 साल से कम उम्र के 60 बच्चे बीमारी के कारण काल के गाल में समा चुके हैं। इन बच्चों ने अपने ही मां-बाप की आंखों के सामने दम तोड़ दिया। उनके उज्ज्वल भविष्य को लेकर माता-पिता ने तमाम सपने बुने थे, जो पल भर में चकनाचूर हो गए।
नसीब में न था रोटी का टुकड़ा
संत नगर के हर्ष उर्फ गुड्डू के पिता अतेंद्र और उसकी मां संगीता के आंसू नहीं थम रहे हैं। पेशे से अतेंद्र चूड़ी कारीगर हैं। हर्ष उनका इकलौता लड़का था। मां ने एक प्लेट में रखे रोटी के टुकड़े की ओर इशारा किया और रोते हुए कहा कि गुड्डू के नसीब में इतनी सी रोटी भी नहीं थी। मेरे हाथों में ही उसके प्राण निकल गए। 12 साल की कोमल और पांच साल की सिमर भी अपने भाई को खोने से सदमे में हैं।
खाली पड़ा झूला और दूध की बोतल
करबला की गली नंबर छह के गुड्डू के घर भी मातम है। 18 माह के उनके बेटे ऋषभ को भी बुखार लील गया। ऋषभ की मां एकटक उसके छोटे से झूले और दूध की बोतल को ओर देख रही है और अपने आप से बातें करने लगती है। घर में मौजूद अन्य लोग उसे ढांढस बंधा रहे हैं। यह सिलसिला सुबह से चल रहा था। मोहल्ले के अन्य लोग भी अपने बच्चों के लिए चिंतित हैं।
सबकी आंखों का तारा थी मनु
सुदामा नगर की छह माह की मनु के परिजनों का भी बुरा हाल है। उन्होंने बताया कि 26 अगस्त से बुखार आ रहा था। सरकारी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था। एक सितंबर को आगरा रेफर किया गया। यहां बुधवार देररात तीन बजे नन्हीं सी जान से दम तोड़ दिया। घर वालों का रो-रोकर बुरा हाल है। पड़ोसी भी परेशान हैं। मनु सभी की आंखों का तारा था लेकिन बुखार ने उसे भी छीन लिया।
बदहाल है सफाई व्यवस्था
सुहागनगरी में वायरल और डेंगू फैलने के कारण तमाम हैं लेकिन अव्वल है यहां की बदहाल सफाई व्यवस्था। अधिकांश मृत बच्चों की बस्तियां नाले के किनारे बसी हैं। तंग गलियों में गंदा पानी जमा है और पास के पोखर कीचड़ से भरे हैं। महीनों से मोहल्लों में झाड़ू तक नहीं लगी है। स्थितियां बद से बदतर होती जा रही है। स्वास्थ्य सेवाएं पटरी से उतर गई हैं।
सीएम को दिखाई चमकती नगरी
बच्चों का हाल-चाल जानने के लिए तीन दिन पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फिरोजाबाद आए थे। प्रशासन ने उन्हें फिरोजाबाद की साफ-सुथरी तस्वीर दिखाई। सीएम उन इलाकों में नहीं गए, जहां गंदगी के अंबार लगे हैं। बदबू के चलते जहां दस मिनट खड़ा होना भी दूभर है। पोखरों का पानी सड़कर कीचड़ बन गया है। जानवर उसमें लोट लगा रहे हैं। रेलवे लाइन किनारे पूरी सड़क टूटी पड़ी है। गड्ढों में गंदा पानी जमा है।
हरसंभव मदद करेंगे’
मेयर नूतन राठौर ने कहा कि सरकारी व्यवस्थाएं दुरुस्त कराई जा रही हैं। व्यक्तिगत तौर पर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की है। हरसंभव मदद दिलवाई जाएगी। साफ-सफाई पर ध्यान दिया जा रहा है।
‘लोगों को दवाएं दिलवा रहे’
सीएमओ डॉ. दिनेश कुमार प्रेमी ने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार अभी तक जिले में 44 लोगों की मौत हुई है। स्वास्थ्य विभाग की टीम क्षेत्रों में लोगों को दवाएं मुहैया करा रही है। ये रोग मच्छरों से पनपने से फैला है।