मिलूपारा से खर्रा-सकता सड़क की बदहाली: रेत माफिया की मनमानी, राहगीर परेशान, स्थानीय शासन-प्रशासन मौन…

अशोक सारथी, आपकी आवाज न्यूज धौंराभांठा:- जिले के तमनार ब्लॉक अंतर्गत मिलूपारा से ग्राम पंचायत पेलमा के आश्रित ग्राम खर्रा को जोड़ने वाली सड़क की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। इस सड़क का उपयोग न केवल स्थानीय ग्रामीणों, स्कूली बच्चों और किसानों द्वारा किया जाता है, बल्कि यह क्षेत्र के व्यापार और आवागमन का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। लेकिन, अवैध रेत खनन और रेत माफिया की बेलगाम गतिविधियों ने इस सड़क को पूरी तरह जर्जर कर दिया है। लगातार बिना नंबर वाली भारी ट्रैक्टरों द्वारा रेत ढोने के कारण सड़क पर गहरे गड्ढे बन गए हैं, जो बारिश के मौसम में कीचड़ और जलभराव से और खतरनाक हो गए हैं। इस स्थिति ने राहगीरों, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और मरीजों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर दिया है।

सड़क की दयनीय स्थिति और राहगीरों की परेशानी…
मिलूपारा, उरबा से खर्रा मार्ग की बदहाल स्थिति ने स्थानीय लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित किया है। बारिश के मौसम में सड़क पर गड्ढों में पानी भर जाता है, जिससे फिसलन बढ़ जाती है। दोपहिया वाहन चालक और पैदल यात्री अक्सर फिसलकर गिर रहे हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। स्कूली बच्चे अपने कपड़े खराब होने और चोटिल होने के डर से स्कूल जाने से कतराने लगे हैं। गर्भवती महिलाओं और मरीजों को अस्पताल ले जाना भी मुश्किल हो गया है, क्योंकि खराब सड़क के कारण एंबुलेंस और अन्य वाहन गांव तक नहीं पहुंच पाते।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि रेत से भरे भारी ट्रैक्टर दिन-रात इस मार्ग पर दौड़ते हैं, जिससे सड़क की सतह पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। बारिश के कारण गड्ढों में पानी भरने से स्थिति और बदतर हो गई है। एक ग्रामीण, रामकुमार, ने बताया, “यह सड़क अब चलने लायक नहीं रही। बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, और बीमार लोगों को खटिया पर लादकर ले जाने की स्थिति बन रही है। रेत माफिया को सिर्फ अपने मुनाफे से मतलब है, हमारी परेशानी से कोई लेना-देना नहीं।”

रेत माफिया की मनमानी और अवैध खनन…
खर्रा मार्ग के पास नदी से अवैध रूप से रेत का खनन किया जा रहा है। रेत माफिया जेसीबी मशीनों और ट्रैक्टरों का उपयोग करके नदी के बीचों-बीच गहरे गड्ढे खोद रहे हैं, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि नदी का प्राकृतिक प्रवाह भी प्रभावित हो रहा है। यह अवैध खनन रात के अंधेरे में और तेजी से होता है, ताकि प्रशासन की नजरों से बचा जा सके। स्थानीय लोगों का आरोप है कि रेत माफिया को प्रशासनिक अधिकारियों का संरक्षण होगा, जिसके कारण उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही।

रेत माफिया द्वारा निकाली गई रेत को ढोलनारा, बजरमुड़ा, मुड़ागाँव, रोडोपाली और अन्य स्थानीय कम्पनीयों में ऊंची कीमतों पर बेचा जा रहा है। एक ट्रेक्टर रेत, जो पहले 500-700 रुपये में मिलता था, अब 3000 रुपये तक में बिक रहा है। यह मुनाफाखोरी रेत माफिया के हौसले को और बुलंद कर रही है, जबकि आम लोग ऊंची कीमतों पर रेत खरीदने को मजबूर हैं। मजदूरों को भी इस अवैध कारोबार से कोई लाभ नहीं मिल रहा, क्योंकि माफिया सस्ते दामों पर मजदूरों से काम करवाकर रेत को बोरी में भरवाता है और रात में भी ट्रैक्टरों से ढुलाई करता है।स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता
स्थानीय लोगों ने शासन प्रशासन से सड़क की मरम्मत और रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने की मंशा बना ली है, लेकिन उनकी शिकायत अब तक नहीं हुई। सामाजिक कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों का कहना है कि स्थानीय एवं जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत के कारण रेत माफिया बेखौफ होकर अवैध खनन और परिवहन कर रहे हैं। एक स्थानीय कार्यकर्ता, ने कहा, “हमने परिवहन विभाग और तहसील प्रशासन से शिकायत की तैयारी कर रहे हैं। क्या प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है?”

हाल के वर्षों में छत्तीसगढ़,  मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में रेत माफिया की हिंसक गतिविधियों के मामले सामने आए हैं। उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश के मैहर जिले में रेत माफिया ने एक नायब तहसीलदार को ट्रैक्टर से कुचलने की कोशिश की थी। ऐसी घटनाएं प्रशासन की निष्क्रियता और माफिया के बढ़ते दुस्साहस को दर्शाती हैं।

पर्यावरणीय प्रभाव और नियमों का उल्लंघन…
अवैध रेत खनन न केवल सड़क को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि पर्यावरणीय नियमों का भी खुला उल्लंघन हो रहा है। नदी के बीचों-बीच गहरे गड्ढे खोदने से नदी का पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो रहा है, जिसका असर जल्दी ही बाढ़ और जल संकट के रूप में सामने आ सकता है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और खनन विभाग के नियमों के अनुसार, रेत खनन के लिए पर्यावरणीय मंजूरी और निर्धारित सीमाओं का पालन अनिवार्य है। लेकिन, रेत माफिया इन नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, और प्रशासन की चुप्पी उनकी मनमानी को बढ़ावा दे रही है।

समाधान की मांग…
स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता मांग कर रहे हैं कि:

  1. तत्काल सड़क मरम्मत: पेलमा पंचायत के (खर्रा) सड़क की तुरंत मरम्मत की जाए, ताकि राहगीरों को राहत मिले और दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
  2. रेत माफिया पर सख्त कार्रवाई: अवैध रेत खनन और परिवहन पर रोक लगाने के लिए नियमित छापेमारी और कड़ी कार्रवाई की जाए। दोषी अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए।
  3. पर्यावरण संरक्षण: नदी के अवैध खनन को रोकने के लिए खनन विभाग और पर्यावरण विभाग को सक्रियता से काम करना होगा।
  4. स्थानीय समुदाय की भागीदारी: सड़क मरम्मत और रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई में स्थानीय लोगों की शिकायतों को प्राथमिकता दी जाए।

मिलूपारा से खर्रा सड़क की जर्जर स्थिति और रेत माफिया की मनमानी न केवल स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रही है, बल्कि यह स्थानीय शासन-प्रशासन की नाकामी को भी उजागर कर रही है। अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह स्थिति गंभीर दुर्घटनाओं और पर्यावरणीय संकट को जन्म दे सकती है। प्रशासन को चाहिए कि वह रेत माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे, सड़क की मरम्मत कराए और स्थानीय लोगों की समस्याओं का त्वरित समाधान करे। क्या प्रशासन जागेगा, या यह सड़क और इसके राहगीर किसी बड़ी त्रासदी का शिकार होने के लिए अभिशप्त हैं?

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