
मीना खलखो हत्याकांड में 11 साल बाद कोर्ट का फैसला, 3 पुलिसकर्मी बरी, बलरामपुर में नक्सली बताकर युवती को मारा था
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित मीना खलको हत्याकांड मामले में रायपुर की अदालत ने सभी आरोपी पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया है। 11 साल बाद इसमें फैसला आया है। आदेश की कॉपी एक महीने बाद जारी की गई है। अदालत में अभियोजन की लापरवाही की वजह से साक्ष्य पेश नहीं हो सके, जिससे तीनों आरोपियों को कोर्ट ने दोषमुक्त किया है। पुलिसकर्मी धर्मदत्त धनिया, जीवनलाल रत्नाकर और निकोदिम खेस इस हत्याकांड में आरोपी बनाए गए थे। न्यायिक जांच आयोग ने पुलिसकर्मियों को अपनी जांच में दोषी माना, लेकिन किसी तरह के सबूत नहीं होने के कारण पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया गया है। दोषमुक्त करार दिए गये धर्मदत्त धानिया इन दिनों दिल्ली में हैं। जीवनलाल रत्नाकर रामानुजगंज में प्रधान आरक्षक हैं। एक अन्य आरोपी निकोदिम खेस की मौत हो चुकी है।
कब और कैसे हुई थी मीना खलखो की हत्या
बलरामपुर के लोंगरटोला में 6 जुलाई 2011 को 16 साल की आदिवासी किशोरी मीना खलखो की गोली लगने से मौत हुई थी। पुलिस वालों ने दावा किया किया था कि झारखंड से आए नक्सलियों के साथ दो घंटे तक चली मुठभेड़ के दौरान मीना को गोली लगी थी। सरगुजा के चांदो थाना क्षेत्र के करचा गांव के पास पुलिस ने मीना खलखो को नक्सली बताकर मार गिराने का दावा किया गया था। डॉ. रमन सिंह की सरकार के दौरान प्रदेशभर में इसे लेकर काफी हंगामा हुआ था। इसके बाद CID ने जांच की। जांच में माना था कि मीना खलखो की हत्या आरक्षक धर्मदत्त धनिया और आरक्षक जीवनलाल रत्नाकर ने की थी। CID ने यह भी माना था कि हत्यारों को बचाने के लिए थाना प्रभारी ने झूठे साक्ष्य गढ़े थे, जिसका खुलासा होने के बाद कार्रवाई की गई थी। विशेषज्ञ जांच में भी मीना की मौत एसएलआर की गोलियों से होना पाया गया था।
3 पुलिस कर्मियों पर दर्ज हुआ था हत्या का केस
घटना के बाद मीना खलको के परिजनों और अन्य ग्रामीणों ने पुलिस पर आरोप लगाया था कि पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में मीना को मार गिराया है। मीना खलको के नक्सली या उससे संबंध होने से ग्रामीणों ने इनकार किया था। भारी आक्रोश को देखते हुए शासन की ओर से न्यायिक जांच के आदेश दिए गए। पूरे केस की बारीकी से पड़ताल का जिम्मा सीआईडी को सौंपा गया था। जांच आयोग ने यह भी कहा था कि मीना की मौत पुलिस की गोली से हुई है। इसके बाद सीआईडी ने मीना की हत्या का मामला दर्ज किया और मामले की जांच शुरू की थी। सीआईडी ने मीना खलको हत्याकांड में 25 पुलिस कर्मियों के इस घटना में शामिल होने की बात कही थी, लेकिन 3 पुलिसकर्मियों के खिलाफ ही हत्या का मामला दर्ज किया गया था।