
मृत्यु रूपी बाण से मुक्त करती है भगवान की कथा= डा.इन्दुभवानन्द
नैमिषारण्य=भगवान राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ से काबरा परिवार के यजमानत्व में आयोजित नैमिषारण्य में स्थित बलराम धर्मशाला में श्रीमद् भागवत की अमृत मयी कथा में व्यास आसन पर विराजमान परम पूज्य शंकराचार्य महाराज के शिष्य डॉ. स्वामी इन्दुभवानन्द तीर्थ जी महाराज ने बताया कि भगवान की कथा सुनने से मृत्यु रूपी बाण से मुक्ति हो जाती है जीव को सदा सर्वदा से तीन बाण लगे हुए हैं एक तो मृत्यु रूपी बाण दूसरा अज्ञान रूपी बाण और तीसरा दुख रूपी बाण सच्चिदानंद कहने मात्र से इन तीन बाण से मुक्ति प्राप्त हो जाती है जिह्वा में सत् आने मात्र से मृत्यु से चित् कहने मात्र से आज्ञन से और आनंद कहने मात्र से दुख से मुक्ति प्राप्त हो जाती है भगवान सच्चिदानंद का नाम लेने से तीनों तापों से भी इस जीव को मुक्ति प्राप्त हो जाती है इसलिए सदा सर्वदा भगवान सच्चिदानंद के नाम का आश्रय लेना चाहिए भगवान सच्चिदानंद घन की कथा सुनने से मृत्यु रूपी पाश से जीव मुक्त हो जाता है उन्होंने श्रीमद् भागवत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भगवान बृजेंद्र नंदन परमात्मा की दिव्य कथा सुनकर के भक्ति ज्ञान और वैराग्य की जो वृधता थी वह दूर हो गई तथा जो व्यक्ति उग्र से उग्र पाप करता है उन पापों से भी मुक्ति श्रीमद् भागवत के श्रवण से जीव को प्राप्त हो जाती है वास्तव में भागवत के श्रवण से जीव को अपने मूल स्वरूप का भी ज्ञान प्राप्त हो जाता है। कथा के पूर्व कथा यजमान कैलाश चंद्र काबरा एवं उनके पूरे परिवार ने पोथी का पूजन कर आरती की कार्यक्रम के कर्मकांड भाग को शंकराचार्य आश्रम के वैदिक विद्वान रामनिवास उर्मलिया, महेंद्र शास्त्री , अभिनव शास्त्री, सूर्या दुबे,आदि वैदिक विद्वानों ने संपन्न कराया।

