छत्तीसगढ़ में भूख-प्यास से 13 गायों की मौत: सड़कर कंकाल में बने,फसल बचाने सरपंच ने गौठान में किया था बंद,सरकार हर गाय पर देती है 35₹

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के गौठान में भूख-प्यास से 13 से अधिक गायों की मौत हो गई। कुछ तो कंकाल में तब्दील हो गईं। बताया जा रहा है कि, सरपंच ने फसल बचाने के लिए 15 दिन पहले करीब 40 आवारा मवेशियों को गौठान में बंद कर दिया था। आरोप है कि, उन्हें चारा पान

घटना की जानकारी लगने के बाद गोसेवकों ने हंगामा किया। FIR दर्ज कर सरपंच पर एक्शन लेने की मांग की। वहीं, जनपद सीईओ ने मवेशियों का पीएम कराया है। उन्होंने आशंका जताई है कि, निमोनिया से मौत हुई है। यह मामला नंदिनी थाना क्षेत्र के अहिरवारा के गोढ़ी गांव का है।

दरअसल, कांग्रेस की भूपेश सरकार ने गौठान बनवाए थे, जिसे बीजेपी की साय सरकार ने बंद करवा दिया है। जिससे मवेशी आवारा घूम रहे हैं। हालांकि, सरकार गोशालाओं में हर गाय के पीछे 35 रुपए खर्च रही है। बावजूद इसके मवेशियों की मौत हो रही है।

तस्वीरों में देखिए गौठान में गायों की हालत ..

गोढ़ी गांव के गौठान में पड़ी गायों की लाश, जो सड़ गई थी।

गोढ़ी गांव के गौठान में पड़ी गायों की लाश, जो सड़ गई थी।

भूख प्यास से गाय के बछड़े की भी मौत हो गई।

भूख प्यास से गाय के बछड़े की भी मौत हो गई।

गौठान के अंदर पड़े गायों के कंकाल।

गौठान के अंदर पड़े गायों के कंकाल।

मृत गाय के शव को नोच रहे कुत्ते।

मृत गाय के शव को नोच रहे कुत्ते।

गौठान में ही सड़ गई थी गायें।

गौठान में ही सड़ गई थी गायें।

गायों की मौत के लिए सरपंच जिम्मेदार- पंच पति

गोढ़ी गांव के पंच पति डोमर सिंह पाल ने मवेशियों की मौत के लिए सरपंच गोपी साहू को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि, सरपंच ने किसानों की फसल को चरने से बचाने के लिए एक समिति बनाई थी। उस समिति में उन्होंने अपने लोगों को शामिल किया था। सरपंच ने किसानों से वादा किया था कि समिति सभी की मदद लेगी और आवारा मवेशियों के लिए चारे-पानी की व्यवस्था करेगी।

सरपंच और कमेटी ने नहीं दिया चारा पानी

जिसके बाद करीब 40 आवारा मवेशियों को गौठान में बंद कर दिया गया। लेकिन पिछले 15 दिनों तक सरपंच और उसकी कमेटी ने मवेशियों का कोई ध्यान नहीं रखा। उन्हें चारा और पानी तक नहीं दिया गया। जिस कारण 13 से अधिक गोवंशों की गौठान के अंदर भूख-प्यास से जान चली गई।

लाश सड़ने की गंध आने पर हुआ खुलासा

बताया जा रहा है कि, जब गांव के लोगों को गौठान में सड़ रहे मवेशियों की बदबू आने लगी, तब इसका खुलासा हुआ। मामले को दबाने के लिए सरपंच ने आनन-फानन में मवेशियों के शव और उनके कंकालों को ट्रैक्टर में भरकर दूसरी जगह फेंक दिया। इसी बीच पशु विभाग की टीम वहां पहुंच गई। उन्होंने कुछ मवेशियों को अपने कब्जे में लेकर उनका पोस्टमार्टम कराया।

गौठान में मरने के बाद कई गाय सड़कर कंकाल बन गए हैं।

गौठान में मरने के बाद कई गाय सड़कर कंकाल बन गए हैं।

पीएम रिपोर्ट आने का इंतजार

धमधा जनपद पंचायत सीईओ किरण कौशिक ने बताया कि, मवेशियों के शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया है। आशंका है कि, निमोनिया बीमारी होने से गायों की मौत हुई है। पीएम रिपोर्ट आने के बाद मौत का कारण पता चल पाएगा कि, उनकी मौत कैसे हुई।

यदि कमेटी बनी तो मौत के लिए वही जिम्मेदार- सीईओ

सीईओ किरण कौशिक का कहना है कि, उन्हें किसी भी तरह की कमेटी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। यदि सरपंच ने कमेटी बनाई थी, तो चारा-पानी की व्यवस्था करनी चाहिए थी। ऐसे में सभी गोवंश की मौत के लिए कमेटी और सरपंच जिम्मेदार माने जाएंगे। वहीं, सरपंच ने इसके लिए पूरे गांव को जिम्मेदार बताया है।

मामले खुलासा होने के बाद गौठान से कंकाल और शव हटा लिए गए है।

मामले खुलासा होने के बाद गौठान से कंकाल और शव हटा लिए गए है।

भूपेश सरकार के समय बना था गौठान।

भूपेश सरकार के समय बना था गौठान।

गो-सेवक ने FIR दर्ज करने की मांग

वहीं, माधव सेना रायपुर से आए गो-सेवक नरेश चंद्रवंशी ने अपने साथियों के साथ बुधवार को नंदिनी थाने पहुंचकर मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। इधर, थाना प्रभारी मनीष शर्मा ने कहा कि, पीएम रिपोर्ट आने के बाद केस दर्ज किया जाएगा। जांच के बाद यदि कोई दोषी पाया जाएगा, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल, मामले की जांच जारी है।

एफआईआर दर्ज कराने थाने पहुंचे गो-सेवक।

एफआईआर दर्ज कराने थाने पहुंचे गो-सेवक।

हर गोवंश के पीछे सरकार देती है बजट

छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने सभी गोशालाओं को प्रति गोवंश के पीछे 25 रुपए का अनुदान दिया जाता है। विष्णुदेव सरकार ने इस राशि को बढ़ाकर 35 रुपए कर दिया है। इसके बाद भी अहिरवारा इलाके में गोवंश की इस तरह मौत होना जमीनी हकीकत बयां कर रहा है।

प्रदेश भर में गोठान हुए बंद

बता दें कि, भूपेश सरकार के समय में नरवा, गरवा, घुरवा, और बाड़ी योजना शुरू की थी। जिसे साय सरकार ने बंद कर दिया है। जिन गौठानों में बर्मी कंपोस्ट खाद, इत्र, पेंट और रंगोली बनाई जाती थी। जहां गोवंश को अच्छे रखा जाता था। उनके खाना पानी की व्यवस्था होती थी। वो आज बीरान हो गए हैं।

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