रगजा पंचायत का खेल निराला, दूसरी बार सरपंच से छीना गया वित्तीय प्रभार,,, उपसरपंच और सचिव द्वारा लाखों का बंदरबांट, जीपीडीपी नहीं हुई और लाखों निकाल लिए,,, जनपद सीईओ पर भी उठ रहीं उंगलियां, पहली बार भी उपसरपंच और सचिव ने खूब किया पैसों का बंदरबांट

सक्ती। जनपद पंचायत के गांवों में भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहते हैं, इस बार मामला रगजा ग्राम पंचायत से सामने आया है। जहां सरपंच से वित्तीय प्रभार छीन कर महिला उपसरपंच के हाथ में दे दिया गया है। और यह पहली बार नहीं दूसरी बार है। वहीं वित्तीय प्रभार मिलते ही उपसरपंच और सचिव ने मिलकर लाखों का वारा न्यारा कर दिया। दोनों ने बोर खनन के नाम पर पंचायत के 15 वें वित्त के खाते से लाखों रुपए निकाल लिए। वहीं जब ग्रामीणों को इस बात की सूचना लगी तो उन्होंने इसकी शिकायत जनपद सीईओ से कर दी।
शिकायत के बाद जनपद अध्यक्ष राजेश राठौर ने सीईओ श्री सिंह साथ में मौके का निरीक्षण करने पहुंचे जहां गड़बड़ी पाईहै। हाल ही में सक्ती जनपद में नए सीईओ आकाश सिंह ने कार्यभार संभाला है। बताया जा रहा है कि ग्राम पंचायत रगजा में विवादित उपसरपंच को वित्तीय प्रभार सौंपा गया। इस नियुक्ति को लेकर सीईओ पर भी सवाल खड़े हो रहें हैं। वहीं ग्राम पंचायत स्तर में भी अब इस उपसरपंच को वित्तीय प्रभार देने को लेकर विरोध शुरू हो है। ग्रामीण भी प्रभारी सरपंच और सचिव के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। जिस कार्य के लिए पैसों का आहरण किया गया है, उसके लिए ग्राम पंचायत में प्रस्ताव पास भी नहीं किया गया था। ऐसे में जब कार्य की सूचना सीईओ तक पहुंची तो उन्होंने आपत्ति भी दर्ज नहीं कराई। जब शिकायत की गई तो सीईओ, जनपद अध्यक्ष के साथ मुआयना करने पहुंचे, प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो जांच में सीईओ श्री सिंह द्वारा टालमटोल किया जा रहा था। चूंकि साथ मे जनपद के मुखिया यानी अध्यक्ष राजेश राठौर भी मौजूद थे, तो थोड़ी लोगों को उम्मीद बंधी की जांच में कार्रवाई होगी।

इस संबंध में जनपद पंचायत सक्ती के अध्यक्ष राजेश राठौर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि 15 वें वित्त का बंदरबाट करते हुए अधिकारी और जनपद स्तर के जनप्रतिनिधियों के साथ साथ गांव व ग्राम पंचायत को भी अंधेरे में रख बिना जीपीडीपी के उपसरपंच और सचिव द्वारा सांठ गांठ कर डीएससी मिलते ही पैसा आहरण किया जा रहा है, साथ श्री राठौर ने आगे कहा कि काम हुआ ही नहीं है और पैसों का आहरण कर लेना सीधे तौर पर पंचायत अधिनियम और नियमों का खुला उल्लंघन हैं। श्री राठौर ने आगे कहा कि जानकारी मिलते ही जनपद के जनप्रतिनिधि और और सीईओ गए थे जहां मैं भी था प्रथम दृष्ट्या जो मामला समझ मे आया है उससे तो सीधे तौर पर सरकारी पैसों का गबन ही दिख रहा है। अब देखना है कि प्रशासन स्तर पर कार्रवाई की जाएगी या नहीं।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में रागज ग्राम पंचायत में श्रीमती मोगरा बाई निर्वाचित सरपंच हैं और सरपंच द्वारा कराए कार्यो का भी भुगतान उपसरपंच और सचिव द्वारा आहरण कर लिया गया है। सूत्रों की मानें तो उपसरपंच सीमा यादव और सचिव दुर्गा चरण जायसवाल द्वारा सरपंच का वित्तीय प्रभार हटवाया जाता है और पैसों के गबन का खेल प्रारंभ कर दिया जाता है। यह दूसरी बार है जब सरपंच से वित्तीय प्रभार छीन उपसरपंच को दिया गया। पहली बार जब वित्तीय प्रभार छीना गया था तब उपसरपंच द्वारा लाखो की राशि जेसीबी के नाम पर कोरबा जिले के करतला ब्लॉक की महिला के नाम चेक काटा गया था। यह भी पूरी तरह से नियम विरुद्ध था, शिकायत के बाद भी जांच नहीं हुई थी और इस बार भी उपसरपंच और सचिव मिलकर ग्रामपंचायत के विकास के पैसों का गबन कर रहें हैं। यहां बताते चलें कि करतला ब्लॉक के बड़े कांग्रेसी नेता की सरपरस्ती में रागजा के एक नेता द्वारा यह पूरा खेला लीला चलाया जाता है। प्रशासनिक अधिकारियों के नाक के नीचे चल रहे इस वित्तीय घोटाले की जांच सिर्फ करतला ब्लॉक के कांग्रेसी नेता के कारण ही नहीं हो पाता है। यह बात भी सामने आ रही है कि सरपंच द्वारा उधारी ले कर गांव के विकास के लिए कराए गए कार्यों का भी भुगतान उपसरपंच और सचिव ले लेते हैं, इससे सरपंच भी काफी हतोत्साहित है और लगातार अधिकारियों के चौखटों में चप्पल रगड़ रही है, लेकिन सरपंच मोंगरा बाई की सुनने वाला कोई नहीं हैं।

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