ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम में संशोधन से ग्रामीण इलाकों के मरीजों को भी मिल सकेगा आधुनिक चिकित्सा विधा का लाभ,,

धरमजयगढ़ , यूनिवर्सिटी ऑफ राजीव गांधी हेल्थ साइंसेस बैंगलोर से चिकित्सा स्नातक व प्रशिक्षु सिविल अस्पताल धरमजयगढ़ डॉ श्रीमती अख्तरी खुर्शीद खान ने बतलाया कि छत्तीसगढ़ शासन के आदेश जिसके तहत चिकित्सा बोर्ड में पंजीकृत भारतीय चिकित्सा पद्धति के स्नातक चिकित्सकों को मॉडर्न मेडिसिन से उपचार हेतु ओषधि और प्रसाधन अधिनियम 1940 के अधीन बनाये गये ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1945 के नियम 2 के खंड( ड़ड़)के उपखण्ड (तीन) द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए पूर्व अधिसूचना दिनाँक 24 जुलाई 2017 जिसके विरुद्ध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन शाखा छतीसगढ़ द्वारा माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका दायर कर स्थगन आदेश पारित करवाने में सफलता हासिल की थी उक्त याचिका के एवज में हाई कोर्ट के निर्देश पर राज्य शासन ने आंशिक संशोधन करते हुऐ पुनः सेंट्रल कौंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन एक्ट 1970 का सेक्शन 48 की द्वितीय अनुसूची में विनिर्दिष्ट भारतीय चिकित्सा पद्धति के अर्हता धारक जो छत्तीसगढ़ के भारतीय चिकित्सा प्रणाली के चिकित्सकों के पंजीयन हेतु गठित मेडिकल बोर्ड में पंजीकृत चिकित्सकों और मरीजों के हितार्थ नोटिफिकेशन जारी कर तत सम्बन्ध में दिनाँक 11 फरवरी 2019 को पारित आदेश का राजपत्र में प्रकाशन किये जाने से तथा स्थगन आदेश हट जाने से अतिदुर्गम,दूरस्थ, अनुसूचित जन जाति बाहुल्य क्षेत्रों, वनांचलों, नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों के साथ साथ राज्य के अन्य शहरी और ग्रामीण इलाकों में जहां एमबीबीएस डॉ कार्य करना नही चाहते यैसे स्थानों में कार्यरत / सेवा दे रहे भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद ,,(,b a m s )और यूनानी (b u m s) के शासकीय व अशासकीय चिकित्सकों के माध्यम से मरीजों को आधुनिक चिकित्सा पद्धति अर्थात एलोपैथिक विधा से उपचार कर स्वास्थ्य लाभ दिलवाने में अहम भूमिका निभा सकेंगे। सरकार की इस अधिसूचना से प्रदेश की लांखों जनता को आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकेगी ।

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