रायगढ़ में सफल वोट अधिकार यात्रा से घबराए विरोधी, सोशल मीडिया पर फैलाया झूठ

रायगढ़। राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट की अगुवाई और विधायक उमेश पटेल के नेतृत्व में रायगढ़ से निकली “वोट अधिकार यात्रा – ‘‘वोट चोर गद्दी छोड़” कांग्रेस के लिए ऐतिहासिक साबित हुई। इस आयोजन में प्रदेश के दिग्गज नेताओं के साथ-साथ विधायकों, वरिष्ठ नेताओं, शहरी व ग्रामीण पदाधिकारियों, महिला कांग्रेस, युवा कांग्रेस, एनएसयूआई, सेवादल और कांग्रेस के सभी विंग के नेता, हजारों कार्यकर्ताओं और आम जनता ने बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाई। रायगढ़ की सड़कों पर उमड़ा जनसैलाब कांग्रेस की एकजुटता और शक्ति का जीता-जागता प्रमाण बन गया। पूरे प्रदेश की राजनीति में इस यात्रा को लेकर हलचल मच गई है और कांग्रेस की इस ऐतिहासिक सफलता की सराहना हर जगह हो रही है। जनसैलाब ने कांग्रेस के पक्ष में जबरदस्त माहौल बना दिया। कार्यकर्ताओं का उत्साह और जनता का समर्थन साफ़ झलक रहा था कि लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए लोग कांग्रेस के साथ खड़े हैं। यह यात्रा कांग्रेस संगठन की एकजुटता और ताकत का सशक्त प्रमाण बनी, जिसने कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाया और भाजपा के खिलाफ जनता के गुस्से को सड़कों पर साफ़ तौर पर दिखा दिया। लेकिन कांग्रेस की इस सफलता ने विरोधियों की बेचैनी बढ़ा दी है। यही कारण है कि सोशल मीडिया पर भाजपा समर्थकों ने अनावश्यक विवाद खड़ा करने का प्रयास किया।

सोशल मीडिया पर कुछ भाजपा समर्थकों द्वारा एक तस्वीर को लेकर भ्रामक टिप्पणी की जा रही है। तस्वीर में उमेश पटेल यात्रा के दौरान जीप के बोनट पर बैठे हैं और उनके नीचे लगे पोस्टर को अशोक चक्र बताकर राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान करने का आरोप लगाया जा रहा है।

वास्तव में अशोक चक्र और पोस्टर पर बने चिन्ह में कोई समानता नहीं है। अशोक चक्र गहरे नीले रंग का होता है, जिसमें 24 तीलियाँ होती हैं और यह सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ के धर्मचक्र पर आधारित है। भारतीय ध्वज की सफेद पट्टी के बीच निर्धारित व्यास में गहरे नीले रंग में अंकित होता है और इसमें किसी भी प्रकार की मानव आकृति या उंगली का चित्रण नहीं होता। दूसरी ओर, कांग्रेस की “वोट अधिकार यात्रा” के पोस्टर में तर्जनी उंगली दिखाई गई है जिस पर चुनावी स्याही लगी हुई है। इस उंगली को एक आसमानी रंग के गोल घेरे के बीच दर्शाया गया है। इस चिन्ह का उद्देश्य केवल मतदान अधिकार का संदेश देना है।

स्पष्ट है कि जीप के बोनट पर लगे पोस्टर को किसी भी स्थिति में अशोक चक्र नहीं कहा जा सकता। इसमें न तो राष्ट्रीय प्रतीक का कोई प्रयोग हुआ है और न ही उसका अपमान किया गया है। इसलिए जीप पर लगे पोस्टर को अशोक चक्र बताना तथ्यात्मक रूप से गलत है और इसे राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान कहना केवल बेबुनियाद और भ्रामक दावा है।

दरअसल, कांग्रेस की यह यात्रा प्रदेश में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करने में सफल रही, और उमेश पटेल की सकारात्मक छवि को धूमिल करने के लिए विरोधियों ने जानबूझकर भ्रम फैलाया है। यह भ्रम केवल कांग्रेस की बढ़ती लोकप्रियता को दबाने की निराशाजनक कोशिश है।

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