
उघोग नहीं तो जमीन नहीं वापस मांग को लेकर कई बार कलेक्टर से मिल चुके किसान अब तक नहीं हो पाई जमीन वापस
रायगढ़ : जिला में देखा जाए तो कम से कम 10 से 12 ऐसे उद्योग हैं जिनके लिए लगभग 10 से 12 हजार हेक्टेयर जमीन का भू अर्जन किया गया यह प्रकिया लगभग 2006 से 2010 के बीच की है परंतु देखा यह गया कि आज उद्योग की जनसुनवाई पर्यावरण स्वीकृति मिली इसके बाद भी एक भी उद्योग स्थापित नहीं हुई और जमीन आज भी उन उद्योगों के कब्जे में है।
जहां किसानों को उस जमीन के बदले भुर्जन का पैसा मिला लेकिन बदले में उघोगो के द्रारा रोजगार, और बुनियादी सुबिधाये देने के लिए ग्रामीणों को कहा गया था परिवार के एक सदस्य को रोजगार मिलना था बुनियादी सुविधाएं मिलने वाली थी जो आज तक नहीं मिली है तो गांव वालों का कहना है कि वह जमीन किसानों को मूलतः उद्योग नहीं लगे हैं तो किसानों को वापस की जाए खास तौर पर जीएसडब्ल्यू के प्रभावित क्षेत्र कुकुरदा, छूईपाली, नवापाली तो उन गांव के लोगों ने कुछ दिन पहले कलेक्टर से मिले थे तो उन्होंने कहा मेरी जमीन तो भू अर्जन कर ली गई लेकिन उसके बदले हमको जो सुविधाएं देने वाले थे जिसमे रोजगार मुख्य रूप से था इसके आलावा अन्य सुबिधाये मिलने वाली थी जो आज तक उपलब्ध नहीं कराई गई है जो इसलिए हम लोगो की जमीन मूलतः वापस किया जाए क्या नियम।
भू अर्जन अधिनियम 4 में एक प्रावधान भी है कि कलेक्टर को यह अधिकार है राज्य सरकार से सुझाव व सलाह के बाद की धारा 4 के तहत उस जमीन को कलेक्टर लेक वेक बनाए और उस जमीन को जो आने वाले समय में जो उद्योग स्थापित होना है उसको दे दिया जाए और उन उघोग को किसी भी प्रकार का व्यापार है उनको स्थापित करने के लिए नई जमीन का भू अर्जन ना किया जाए बल्कि उस जमीन का इलाज किया जाए।
दूसरी बात यह है कि वह जमीन मूलतः जिन किसानों से ली गई है उन किसानों को वापस किया जाए जिनसे उनका उपार्जन खासतौर से किया गया है ताकि जमीन के मूलतःस्वामी ग्रामीण अपने परिवार के साथ खेती कर जीवन जीने का हक है।
कर सकते है खेती
अगर उघोग केंद्र सरकार और राज्य सरकार के तय समय सीमा रेखा तक उघोग नहीं लगाते है तो कोर्ट अधिनियम के तहत किसान उस जमीन पर दुबारा खेती कर सकते है।
यहाँ पर हुआ था वापस
जगदलपुर में टाटा के द्रारा उघोग लगाने के लिए जमीन गर्मीणो से भू अर्जन किया गया था लेकिन किसी कारण वस टाटा का उघोग नहीं लग पाया तो उघोग से जमीन वापस लेकर राज्य सरकार ने गर्मीण से ली गईं जमीन वापस करा दिया गया था।