प्रदेश की राजनीति में युथ आइकॉन बने ओपी चौधरी

अपनी राह खुद बनाता बहता हुआ झरना ओपी चौधरी

रायगढ़ :- देखते ही देखते प्रदेश की राजनीति में ओपी चौधरी युथ आइकॉन बने गए l एक बहता हुआ ऐसा झरना जिसने अपनी राह स्वय बनाई है l प्रशासनिक हलकों सहित ओपी चौधरी का नाम पूरे प्रदेश में परिचय का मोहताज नही l नक्सल क्षेत्र बस्तर के घने जंगलों से लेकर जशपुर के वनांचल सरगुजा की वादियों मैदानी इलाकों में ओपी चौधरी बतौर आयुक्त कलेक्टर या एक राजनीतिज्ञ जहां भी गए स्थानीय लोगो को उन्होने कनेक्ट करने में आशातीत सफलता पाई l राजनीति के क्षेत्र में ओपी चौधरी प्रदेश की जनता के दिलो में भरोसा स्थापित करने में सफल रहे l उन्होंने यह मुकाम अपनी कड़ी मेहनत निष्ठा ईमानदारी के बदौलत हासिल किया l छत्तीसगढ़ की राजनीति में ओपी पहले ऐसे राजनीतिज्ञ है जिन्होंने पहले अपने कार्यों से लोगो का दिल जीतने में सफलता पाई l बतौर आयुक्त बतौर कलेक्टर उनके कार्यों की लंबी फेहरिस्त है l यही वजह है जनता ओपी चौधरी में छत्तीसगढ़ का सुनहरा भविष्य तलाश रही है l यूवाओ सहित महिलाओ में भी उनकी खासी लोकप्रियता है l राजनीति से परे वे शिक्षा से जुड़े सेमिनारों के जरिए यूवाओ के बहुत बड़े वर्ग को शिक्षा के लिए प्रेरित करते है l दूसरी ओर उन्नत खेती के तौर तरीको से वे बेरोजगारों को खेती के लिए भी प्रोत्साहित कर रहे है l कम उम्र में ही पिता को खोने के गम ने ओपी चौधरी को कुछ इस तरह से तराशा कि ओपी चौधरी ने मानो इतिहास ही बदल कर नया इतिहास रच दिया l चौथी पढ़ी लिखी मां के कहने पर ओपी ने छोटी सी उम्र में कुछ बड़ा करने का निर्णय लेते हुए अनुकंपा की नौकरी को अस्वीकार कर दिया l उस दौर में यह निर्णय सोने के सिक्को को ठुकराने जैसा था l मसूरी देश की सबसे बड़ी आईएएस एकेडमी मसूरी को देखने गए ओपी चौधरी को गेट में ही रोक दिया गया l इस बाधा ने ही ओपी के अंदर कलेक्टर बनने की नई संभावना को जन्म दिया l उन्होंने अपने मन में कलेक्टर बनने के संकल्प के बीज को यह सोच कर रोपित किया कि इसी गेट में मौजूद गार्ड प्रवेश के दौरान सैल्यूट करके स्वागत करेगा l संकल्प का यह बीज देखते ही देखते समय के साथ वट वृक्ष बन गया l ओपी चौधरी को कम उम्र में प्रदेश के पहले कलेक्टर बनने का गौरव हासिल है l अमूमन कलेक्टर नक्सल क्षेत्रो में अपनी पद स्थापना से बचते है l लेकिन ओपी चौधरी ने दंतेवाड़ा जैसे नक्सल क्षेत्र में कार्य का करने की इच्छा जाहिर की l नक्सल क्षेत्र में कार्य करने के निर्णय से तात्कालिक मुख्यमंत्री रमन सिंह भी चकित हुए l नक्सल क्षेत्र में अशिक्षा का घनघोर अंधकार व्याप्त था l ओपी चौधरी के शाश्वत प्रयासों से नक्सल क्षेत्र शिक्षा के आलोक से प्रकाश मान हुआ l नक्सल क्षेत्र को शिक्षा के गढ़ के रूप में बदलकर रख देने वाले ओपी चौधरी को बस्तर क्षेत्रवासी बदलाव का महानायक मानते है l एजुकेशन सिटी के जन्मदाता, पोटा केबिन, आस्था, नन्हे परिंदे,छू लो आसमान जैसी शिक्षा के विभिन्न योजनाओं के जरिए बतौर दंतेवाड़ कलेक्टर
ओपी चौधरी ने पूरे क्षेत्र की सूरत ही बदल दी l प्रदेश के यूवाओ को विभिन्न पुस्तको के लिए भटकना पड़ता था राजधानी में नालंदा परिसर का निर्माण करा कर लाखों युवाओं के जीवन में बदलाव लाने वाले ओपी चौधरी के इस कार्य का लाभ आज कांग्रेस सरकार के दौरान भी प्रदेश के युवा ले रहे है l धान खरीदी में जीरो शोर्टेज, पुलिस भर्ती, लाइवलीहुड प्रोजेक्ट भी ओपी के प्रशासनिक कार्यकाल के सुनहरे प्रमाण रहे l
शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय बदलाव एवम उत्कृष्ट कार्य करने हेतु ओपी चौधरी दो बार प्रधानमंत्री अवार्ड से सम्मानित किए गए l आधुनिक तकनीक से खेती के माध्यम से लाखों किसानों को प्रेरित करने वाले ओपी व्यस्तम राजनीति से समय निकल कर युवाओं को कैरियर गाइडेंस, एंटरप्रेन्योर बनने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी प्रेरित करते है l भूपेश सरकार की हर मोर्चे पर घेराबंदी करने वाले ओपी चौधरी सत्ता पक्ष के आंखो की किरकिरी बन चुके है l कोल माफिया का स्कैंडल उजागर करने वाले ओपी चौधरी के खिलाफ कोरबा में गैर जमानती अपराध पंजीबद्ध किया गया था l ओपी चौधरी द्वारा कोयला के कारोबार में पच्चीस रुपए टन की अवैध वसूली का आरोप लगाने के बाद ही ईडी ने प्रदेश में छापा मार कार्यवाही कर कोल घोटाला उजागर किया l

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