
रावण ने मां सीता को महल की जगह अशोक वाटिका में क्यों रखा? ये श्राप बना वजह
नई दिल्ली: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा (Dussehra 2021) इस बार शुक्रवार 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इसके साथ ही देशभर नें रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया जाएगा.
माता सीता को महल में क्यों नहीं ले गया रावण?
बहुत सारे लोगों के मन में अक्सर यह सवाल आता है कि रावण (Ravana) का महल इतना भव्य था कि दुनिया के सारे ऐशोआराम उसके सामने बेकार थे. इसके बावजूद माता सीता (Sita) का हरण करने पर उसने उन्हें अपने भव्य महल में रखने के बजाय बाहर अशोक वाटिका में क्यों रखा. दरअसल ऐसा रावण ने अपनी मर्जी से नहीं बल्कि एक श्राप के डर की वजह से किया था. यह श्राप जीवनभर रावण को डराता रहा और अंतत: उसकी मौत का कारण भी बना.
रावण ने रोका था अप्सरा रंभा का मार्ग
वाल्मीकि रामायण के अनुसार एक बार की बात है. स्वर्ग की अप्सरा रंभा (Rambha) कुबेरदेव के पुत्र नलकुबेर से मिलने जा रही थी. रास्ते में रावण ने उसे देखा तो वह उसके रूप और सौंदर्य को देखकर मोहित हो गया. रावण ने गलत नीयत के साथ रंभा को रोक लिया.
जबरदस्ती कर अपने महल में ले गया
रंभा ने हाथ जोड़कर रावण (Ravana) से उसे छोड़ने की प्रार्थना की. रंभा (Rambha) ने कहा कि वह कुबेरदेव (रावण के सौतेले भाई) के पुत्र नलकुबेर से मिलने जा रही है. इस नाते वह उनकी पुत्रवधु के समान हैं लेकिन रावण पर उनकी इस प्रार्थना का कोई असर नहीं हुआ और जबरदस्ती करते हुए अपने महल ले गया.
नलकुबेर ने दिया था रावण को श्राप
वहां पर रावण (Ravana) ने मनमानी करते हुए रंभा का शील हरण किया. जब इस बात की सूचना नलकुबेर को मिली तो वह अत्यंत क्रोधित हो गया. उसने रावण को श्राप दिया कि भविष्य में यदि रावण ने किसी भी पराई स्त्री को बिना उसकी स्वीकृति के बिना अपने महल में रखा या दुराचार किया तो वह उसी क्षण भस्म हो जाएगा.
जीवनभर इस श्राप से डरता रहा लंकेश
यही वह श्राप था, जिसके चलते रावण (Ravana) जीवनभर डरता रहा और चाहकर भी माता सीता (Sita) को अपने महल ले जाने या हाथ लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया. उसने देवी सीता को महल से दूर अशोक वाटिका में रखा और लगातार उन्हें मानसिक रूप से परेशान कर विवाह के लिए दबाव बनाता रहा. हालांकि देवी सीता पर उसके इन प्रयासों का कोई असर नहीं पड़ा और अंत में रावण को अपने किए की सजा भुगतनी पड़ी.