छत्तीसगढ़
लवन नगर के कबीर आश्रम का हुआ लोकार्पण
मानिकपुरी पनिका समाज के जिलाध्यक्ष रहे मुख्य अतिथि
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
फागुलाल रात्रे, लवन।
गत दिवस लवन नगर के कबीर आश्रम का लोकार्पण मानिकपुरी पनिका समाज के जिलाध्यक्ष महाबल बघेल के कर कमलों से संपन्न हुआ। लवन नगर के इतिहास में यह बड़ी उपलब्धि वहां के मानिकपुरी पनिका समाज के द्वारा हासिल की गई। आज से लगभग 50 वर्ष पूर्व समाज के महंत सुख दास मानिकपुरी के द्वारा इस आश्रम की नींव रखी गई थी। वह इस आश्रम के स्वप्न दृष्टा थे। धीरे-धीरे समाज प्रमुखों के सहयोग से इस आश्रम का निर्माण हो सका समाज के चिंतक मोहन दास मानिकपुरी, रोशन मानिकपुरी, खुमान दास मानिकपुरी ने सर्वप्रथम सदगुरु कबीर प्राकट्य दिवस मनाना प्रारंभ किया तथा शनै शनै समाज के अन्य लोगों में एकता और संगठन लाकर अपने अथक प्रयास से अन्य अन्य मदों से राशि स्वीकृत कराकर इस भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ कराया गया। मानिकपुरी पनिका समाज लवन परीक्षेत्र के अध्यक्ष कवल दास मानिकपुरी ने भी समाज को संगठित कर इस पुनीत कार्य में सामाजिक एवं आर्थिक सहयोग प्रदान कर भवन निर्माण में सहयोग प्रदान किया। लोकार्पण अवसर पर सर्वप्रथम सदगुरु कबीर साहब के चित्र पर चंदन अर्पित करते हुए माल्यार्पण किया गया एवं मानिकपुरी पनिका समाज के जिला अध्यक्ष महाबल बघेल सचिव राजेंद्र हेंवार , महासचिव ज्ञानेश्वर दास मानिकपुरी सहित लवण परी क्षेत्र के सचिव राजेंद्र दास मानिकपुरी कोषाध्यक्ष प्रेम दास मानिकपुरी की उपस्थिति में फीता काटकर इस भवन का लोकार्पण किया गया अपने उद्बोधन में समाज को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष महाबल बघेल ने कहा कि किसी भी समाज का विकास उसकी शिक्षा, संस्कार और रोजगार पर निर्भर करता है। दुसरों पर आश्रित रहने वाला ना तो व्यक्ति विकास कर सकता ना समाज का। हम सभी का परम कर्तव्य है कि समाज के प्रति अपने दायित्व को पूरी तरह निभाएं और हमें जो कुछ समाज से मिला उसको संरक्षित करें व जो युवा वर्ग परिवर्तन के मृगजल के पीछे भाग रहे हैं उनको वास्तविकता का अहसास कर कर स्वावलंबी आत्मनिर्भरबनने को प्रेरित करें। हम जो कुछ भी बनते हैं उसमें जितना योगदान हमारे परिश्रम का होता है उतनी ही योगदान हमारे सामाजिक ढांचा और संस्कृति का भी होता है। इसलिए समाज से हमें जो कुछ मिला उसे लौटाना हम सबका दायित्व है। हमारा सबसे बडा दायित्व है, अपने संस्कृति को संरक्षित करना क्योकि संस्कृति के बिना जीवन का कोई महत्व नही है। संस्कृति को खोकर आर्थिक विकास वैसे ही है जैसे हम भोजन बनाने की कला में माहिर तो हो गये मगर भोजन सामग्री ना होने से हम भूखे के भूखे रह गये। उद्बोधन के पश्चात 5 महंतों के द्वारा सात्विक यज्ञ आनंदी चौका आरती का कार्यक्रम संपन्न हुआ। तत्पश्चात भोजन भंडारा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर खुमान दास सूरजीत दास बजरंग दास सुखी दास साहिब दास मनहरण दास रंजीत दास श्याम दास मंगलदास अघनु दास, मिलन दास पापा दास डेमन गगन विकास गीते करण संत दास डाबला सहित काफी मात्रा में सजातीय जन उपस्थित थे।