किसानों के लिए कितना फायदेमंद है ड्रोन, अब क्यों उनका तेजी से बढ़ रहा हैं रुझान

किसान अब अपनी फसलों को बचाने के लिए फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल ज्यादा करते हुए नज़र रहे हैं.अकोला जिले के दानापुर गांव के सब्जी उत्पादक किसान ड्रोन का छिड़काव कर रहे हैं.जिले किसान गोपाल येऊल ने अपने 10 एकड़ जमीन में टमाटर की फसल पर आधुनिक ड्रोन से दवाईओ का छिड़काव किया हैं.तो वही जिले दूसरे किसनों का कहना हैं कि अगर इस ड्रोन के जरिए छिड़काव किया जाए तो दवाइयों की काफी बचत हो जाती हैं.और साथ ही समय की बर्बादी भी नहीं होती हैं.राज्य के कई जिलों में किसान अब ज्यादा करके ड्रोन जरिये दवाइयों का छिड़काव कर रहे हैं. कीटों से फसलों को सुरक्षित रखने के लिए ड्रोन से अच्छा  छिडकाव होता हैं.

क्या कहना हैं किसानों का

जिले के कुछ किसानों का कहना हैं कि ड्रोन के जरिए फसलों पर दवाइयों का छिड़काव करने से दवाइयों का बचत होता हैं और समय भी बचता हैं.इसलिए अब दानापुर व अन्य जगहों के किसान ड्रोन छिड़काव की ओर रुख करते नजर आ रहे हैं.हाल के दिनों में मशीनीकृत खेती पर अधिक जोर दिया गया है, जिससे समय और लागत की बचत होती है.पुराने समय में बुवाई का पारंपरिक तरीका टिफान, बैल और मानव से किया जाता था.बैल और आदमी भी सिंचाई के लिए इस्तेमाल किये जाते थे.आज भी कई गांव में किसान अभी भी पारंपरिक तरीके से किसानी करते हैं.

जिले में मज़दूरों की कमी

जिलों में तो, श्रम का उपयोग कटाई और थ्रेसिंग के लिए भी किया जाता था, अब जबकि ये सभी कार्य मशीन द्वारा किए जा रहे हैं, तो ऐसे में मज़दूर कम होते जा रहे हैं और समय और धन की बचत हो रही है.इससे अब गांव में दवाईओ के छिड़काव के लिए मजदूरों की जगह ड्रोन का इस्तेमाल किए जाने की संभावना ज्यादा हो गई हैं.दूसरे आसपास के जिलों के किसान भी बडी संख्या में अब ड्रोन का इस्तेमाल करने की बात कर रहे हैं.तो वही दूसरी ओर ड्रोन से फसलों पर छिड़काव के इतेमाल से उन मज़दूरों की नोकरी खतरे में पड़ गई हैं जो दूसरों के खेतों में मज़दूरी करके अपना गुज़रा करते थे.

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