
बेमेतरा =प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय बेमेतरा के स्थानीय सेवा केंद्र प्रभु स्मृति भवन में गुरु पूर्णिमा पर्व पर विशेष आयोजन किया गया ।
लीनेश क्लब की महिला सदस्यों, नगर की प्रमुख महिलाओं तथा जनपद अध्यक्ष हेमा दिवाकर , जिला अध्यक्ष ललिता साहू, जिला उपाध्यक्ष, राजेश्वरी पांडे, सह प्रभारी प्रदेश मीडिया निशा चौबे , सदस्य प्रदेश कार्य समिति लक्ष्मी साहू , जिला मंत्री सावित्री रजक , जिला मंत्री जामिन बन्छौर , अध्यक्ष लीनेश क्लब शशि तिवारी, हेमलता शर्मा , डॉ नेहा वर्मा, ममता साहू , उमेश्वरी साहू , मीनू पटेल , पिंकी , नेमा गुप्ता, रानी ठाकुर , शीलु साहू , अनीता साहू प्रमिला साहू , वर्षा गौतम , आरती साहू, पार्वती दुबे , सुशीला कोसले , निधि दुबे कल्याणी राव , समस्त महिला बहनों ने गुलदस्ता, टीका, शॉल, भेंट कर, साफा लगाकर पुष्प अर्पित कर बी के शशि बहन दीदी का सम्मान किया व आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस दौरान सभी ने मिलकर विश्व शांति व प्रकृति को शांत करने के लिए सामूहिक मेडिटेशन का अभ्यास किया। बी के शशि बहन दीदी ने ईश्वरीय सौगात भेंट कर ब्रह्मा भोजन का विशेष आयोजन किया तथा गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़े हर्षोल्लास से मनाया।
ब्रह्माकुमारी शशि दीदी ने गुरु पूर्णिमा का महत्व स्पष्ट करते हुए अपने दिव्य उद्बोधन में कहा कि मनुष्य आत्मा जब जन्म लेती है तो उसका परिवार उसके साथ होता है। फिर भी जीवन में हर मनुष्य आत्मा को गुरु की आवश्यकता होती है। क्योंकि गुरु ही आत्मा को श्रेष्ठ मार्ग पर चलने का मार्गदर्शन प्रदान करता है। लेकिन गुरु से भी ऊपर है सदगुरु, जो आत्मा को गति और सद्गति प्रदान करता है। गुरु पूर्णिमा अर्थात अज्ञानता रूपी अंधियारे को मिटाने वाला सदगुरु जब इस सृष्टि पर अवतरित होता है। तब अज्ञानता रूपी अंधियारा मिटने लगता है, क्योंकि परम सद्गुरु शिव बाबा हम आत्मा को राजयोग द्वारा श्रेष्ठ कर्म का मार्ग बतलाते हैं। जिस राजयोग के पथ पर चलकर आत्मा पूर्णिमा के चांद के समान 16 कला संपूर्ण निर्विकारी बन जाती है। सद्गुरु का हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है, सद्गुरु शिव बाबा हम सभी को श्रेष्ठ देखना चाहते हैं, वह हम आत्माओं को राजयोग मेडिटेशन का रास्ता दिखाकर हम सभी से गुरु दक्षिणा में पांच विकार मांगते हैं।
ललिता साहू ने बताया कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। गुरु शब्द में ‘गु’ का अर्थ अंधकार या अज्ञान और ‘रु’ का अर्थ प्रकाश होता है। जो व्यक्ति अज्ञान से प्रकाश की ओर ले जाए, वह सद्गुरु कहलाता है।
हेमा दिवाकर ने बताया कि गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरु की महिमा और उनके मौन ज्ञान को समर्पित है. गुरु का मौन केवल शांति नहीं, बल्कि ईश्वर की सच्ची वाणी होता है. इस दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं और आत्मिक विकास की दिशा में एक नया संकल्प लेते हैं।
राजेश्वरी पांडे ने कहा कि गुरु पूर्णिमा का मूल उद्देश्य ही होता है, गुरु के प्रति श्रद्धा और आत्मा का शुद्धिकरण। प्रतिदिन गुरु ज्ञान से व्यक्ति के आध्यात्मिक उत्थान, साधना में सफलता और चित्त की स्थिरता लाने में सहायक होता है।
निशा चौबे ने बताया कि “गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरः, गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥” इसका अर्थ है कि गुरु ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान होते हैं. वे ही परम सत्य का मार्ग दिखाते हैं. आइए इस दिन अपने गुरुजनों को प्रणाम करें और उन्हें इस दिन की शुभकामनाएं दें।
शशि तिवारी ने गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि गुरु पूर्णिमा का दिव्य आशीर्वाद आपके जीवन को सुख और समृद्धि से भर देता है , गुरु के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा से भरे दिन की सभी को बधाई।
गुरु की शिक्षाएं आपको सफलता और पूर्णता की ओर प्रेरित और मार्गदर्शन करें।
सावित्री रजक ने कहा कि गुरु बिना ज्ञान नहीं, जीवन में मान नहीं, गुरु वह दीपक है जो हमारे अज्ञान के अंधकार को दूर करता है, गुरु का ज्ञान हमें जीवन की सच्ची राह दिखाता है, गुरु की कृपा से ही हमें सच्ची शिक्षा मिलती है, गुरु का स्थान भगवान से भी ऊँचा है, गुरु का ज्ञान हमें जीवन में सफलता दिलाता है।
शशि दीदी ने सभी को सोचना क्या जो भी होगा देखा जायेगा गीत पर नृत्य कराया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सामाजिक महिला कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे। आयोजन को अत्यंत सात्विक, आध्यात्मिक एवं प्रेरणास्पद वातावरण में संपन्न किया गया।
