
लैलूंगा में अन्य दलों से कांग्रेस में आए नेताओं के प्रति कार्यकर्ताओ में खास उमंग नही
रायगढ़ – छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर एक – एक सीट पर राजनीतिक उठापटक जारी हो गया है। प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर नेताओं की एक्टिवीटी भी बढ़ गई है प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता हैं कहा जाता है छत्तीसगढ़ में पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट वितरण प्रणाली सही होने के कारण आज कांग्रेस सत्ता में बैठी हुई है। ज्ञात हो पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की अधिकांश सीट ऐसी रही हैं जहां पर कांग्रेस प्रत्यासी पहली बार में ही रिकार्ड मतों से जीतकर आए थे। जिसके बाद कांग्रेस की पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनी। इससे यह भी प्रतीत हुआ है कि पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण की जो प्रणाली रही है वह बहुत हद तक सार्थक साबित हुई। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का एक बड़ा कारण भी यही रहा है, कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में ऐसे लोगों को चुनाव लड़ाया था। जो एक लंबे अर्से से कांग्रेस पार्टी की विचारधारा को जमीनी रूप से मजबूत करते रहे हैं कुछ ऐसे लोगों को भी टिकट दिया गया था जिनका व्यक्तिगत व्यवहार सरल सहज होने के साथ जिनकी लोकप्रियता खास तौर पर अपने क्षेत्र में बखत रखती हैं, वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में व्यक्तिगत छबी को देखते हुए कांग्रेस ने ऐसे कई नेताओं को टिकट वितरण किया था जिन्होंने चुनाव लड़कर भाजपा के कई मंत्री और पूर्व मंत्रियों तक को भारी अंतराल से चुनाव हरा कर कांग्रेस के हाथ को मजबूत किया। इसमें रायगढ़ जिले की लैलूंगा विधानसभा सीट भी है 2018 के विधानसभा चुनाव में लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र से चक्रधर सिंह पर कांग्रेस ने विश्वास किया जिसपर वे खरे भी उतरे और चुनाव में जीतकर अपनी लोकप्रियता पार्टी में साबित किया। बताया जाता है कि विधायक चक्रधर सिंह सिदार के व्यक्तिगत व्यवहार के कारण ही पार्टी ने उन्हें टिकट दिया अपने व्यवहार और कांग्रेस पार्टी की विचारधारा चक्रधर सिंह के लिए लाभदायक साबित हुआ। उन्होंने अपने क्षेत्र में भाजपा के दीगज्ज नेता पूर्व मंत्री सत्यानंद राठिया को चुनाव हराकर क्षेत्र में कांग्रेस का परचम लहराया। अपने व्यक्तिगत व्यवहार के लिए क्षेत्र ही नही बल्कि पूरे जिले में धनी माने जाने वाले लैलूंगा विधानसभा के विधायक चक्रधर सिंह सिदार पर किसी भी दल के राजनेता को आवाज उठाने का मौका नहीं मिला है। राज्य में भूपेश बघेल की सरकार बनने के बाद विधायको ने नगरीय निकाय और जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाकर राज्य में कांग्रेस को और अधिक मजबूत किया। नगरीय निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की लोकप्रियता में भी इजाफा हुआ। अब चूंकि इसी वर्ष फिर से 2023 के विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में चुनावी दांव पेच लगाना शुरू हो गया है कहा जा रहा है हाल ही में अन्य पार्टियों से कांग्रेस में आए नेता भी टिकट के चक्कर काट रहे हैं अन्य पार्टियों से हाल ही में कांग्रेस में आए नेताओं के आगे पीछे घूमने वाले कुछ कार्यकर्ता अपने नेताओं को टिकट का प्रबल दावेदार बता रहे हैं बताते हैं टिकट के ऐसे कई दावेदारों को राजधानी में डेरा लगा हुआ है। ऐसे कई दावेदारों ने अपनी दावेदारी तो पेश कर दी है पर क्षेत्र के कार्यकर्ताओ के साथ उनका तालमेल नहीं जमा पा रहा हैं इसलिए राजधानी में डेरा डालकर बैठे हुए हैं टिकट के दावेदारों को कभी उप मुख्यमंत्री और कभी मुख्यमंत्री के दरबार में देखा जा रहा है। खबर है कि जोगी जनता कांग्रेस पार्टी से लैलूंगा विधानसभा के प्रत्यासी रह चुके क्षेत्र के नेता हृदयराम राठिया ने कांग्रेस पार्टी में पुनः प्रवेश किया है उन्होंने फिर एकबार कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है जिन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रत्यासी रहे चक्रधर सिंह सिदार के खिलाफ जोगी जनता पार्टी से चुनाव लड़कर 12 हजार से कुछ अधिक लगभग वोट प्राप्त किया था। जो टिकट के लिए जोर आजमाईस कर रहे हैं। बता दें कांग्रेस पार्टी से हटकर चुनाव लडने वाले कुछ नेताओं ने विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद कांग्रेस से संपर्क कर लिया और उन्होंने लोकसभा और नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस का प्रचार करते हुए पार्टी में अपना विश्वास फिर से बना लिया है। लेकिन हाल ही में पार्टी ने प्रवेश लेने वाले उन नेताओं की दावेदारी पर कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ता ही शक कर रहे हैं जिन्होंने चुनाव के नजदीक कांग्रेस पार्टी में प्रवेश किया है। भले ही पार्टी ने उन्हें प्रवेश ले लिया है पर उन्हे क्षेत्र के कार्यकर्ता विश्वास में कैसे लेंगे इसपर सवाल खड़े हो रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड चुके नेताओं को पार्टी ने भले ही प्रवेश दे दिया है पर कार्यकर्ताओ में आज भी नाराजगी जस की तस बनी हुई हैं बाहर मन से कार्यकर्ता भले ही उन्हे पार्टी में प्रवेश के लिए बधाई दे रहे हैं लेकिन कार्यकर्ताओ के मन के उनके लिए खास उमंग नही है लैलूंगा विधानसभा एक मात्र उदाहरण हैं ऐसे कई विधानसभा क्षेत्र है जहां इस तरह की बातें उठ रही है ऐसे में पार्टी अपने जमीनी कार्यकर्ताओं को कैसे संतुष्ट करेगी यह अभी देखना बाकी है।