अहमदाबाद।
भारत में डायबिटीज कितना आम है? इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पुरुष वयस्क आबादी का 16.8% और महिला वयस्क आबादी का 14.6% डायबिटीज से ग्रस्त है। इस प्रकार भारत में लगभग 12.28 करोड़ पुरुष और 10.01 करोड़ महिलाएं इसकी चपेट में है। इसका मतलब है कि 15.7 प्रतिशत भारतीय डायबिटीज रोगी हैं! बढ़े हुए डायबिटीज रोगियों की संख्या यह दर्शाती है कि इसकी पहचान और समय पर इलाज के मामलो में बढ़ोतरी हुई है फिर भी स्वास्थ्य देखभाल के साधनों तक लोगों की पहुंच एक प्रमुख चिंता का विषय है। इसलिए इस वर्ष विश्व डायबिटीज दिवस की थीम ‘ सबकी पहुंच में डायबिटीज केयर ‘ है। परिवारों पर एनसीडी के बढ़ते आर्थिक बोझ को देखते हुए, डायबिटीज की देखभाल में होने वाला खर्च महत्वपूर्ण हो जाता है। बड़े पैमाने पर प्रचार और जेनेरिक दवाओं को अपनाकर इस गंभीर परेशानी को आसानी से हल किया जा सकता है।
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार, डायबिटीज की देखभाल के साधन दुनिया भर में डायबिटीज से पीड़ित लाखों लोगों की पहुंच से बाहर है। आईडीएफ के अनुसार, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 4 में से 3 व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित होते हैं।
जेनेरिक दवाओं के एक ओमनी-चैनल रिटेलर मेडकार्ट के अनुमान से पता चलता है कि इंसुलिन के बिना, घर में एक भी डायबिटीज रोगी को इलाज के लिए कम से कम 1,000 रुपये प्रति माह खर्च करना पड़ता है। वही यदि रोगी इंसुलिन पर निर्भर है तो यह खर्च प्रति माह 3,000 रुपये तक जाता है।
“मेडकार्ट आईडीएफ की बात से सहमत है कि डायबिटीज से जूझ रहे सभी लोगों को उनकी आवश्यक्ता अनुसार दवा, टेक्नोलॉजी, सहायता और देखभाल उपलब्ध कराई जानी चाहिए। डायबिटीज के उपचार को सुलभ बनाने की दिशा में उसका कम खर्चीला होना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। यदि ब्रांडेड दवाओं के बजाए जेनेरिक विकल्प चुने जाते हैं, तो दवा के खर्च पांच गुना तक कम हो सकता है। मेडकार्ट के को-फाउंडर पराशरन चारी ने कहा कि मेडकार्ड के अनुसार इंसुलिन पर निर्भर डायबिटीज रोगियों के लिए, ब्रांडेड की तुलना में जेनेरिक विकल्प 190% सस्ते हो सकते हैं।
डायबिटीज के इलाज के लिए आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं में सीताग्लिप्टिन, डैपाग्लिफ्लोज़िन, ग्लिमेपाइराइड और मेटफॉर्मिन एसआर शामिल हैं। मेडकार्ट के अनुसार, इनमें से प्रत्येक के जेनेरिक विकल्प की कीमत ब्रांडेड दवाइयों की तुलना में पांच गुना कम होती है।
पराशरन चारी ने कहा कि “खानपान की खराब आदतों और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली के कारण वयस्कों के साथ बच्चों में भी डायबिटीज की बढ़ती घटनाएं गंभीर चिंता का विषय हैं। कुल मिलाकर डायबिटीज की दवाओं की बिक्री बढ़ रही है क्योंकि ये बीमारी अधिक लोगों में हो रही है और इसकी पहचान भी आसानी से हो रही है। लेकिन डायबिटीज के ज्यादा केस सीधे तौर पर घरों पर एक बड़े आर्थिक बोझ में तब्दील हो जाते हैं। मेडकार्ट में, हम मानते हैं कि स्वास्थ्य देखभाल की लागत के लगातार बढ़ने के कारण भारतीय परिवारों पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा और इसलिए, लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के तरीके को बदलना बहुत जरुरी है। पिछले आठ वर्षों में मेडकार्ट जेनरिक विकल्पों के साथ हेल्थकेयर के खर्चे को कम करके लोगों के जीवन को बदल रहा है।”
विश्व डायबिटीज दिवस पर, मेडकार्ट का संदेश डायबिटीज के साथ-साथ कई अन्य बीमारियों के इलाज के लिए जेनेरिक दवाओं के उपयोग को बढ़ावा देना और प्रोत्साहित करना है।