
श्रद्धा और भक्ति का मिसाल कायम, 120 किलोमीटर की यात्रा 25 दिनों में पूरी कर लवन पहुंचे 35 दिनों में पहुंचेंगे दंडवत प्रणाम करते गिरौदपुरी
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
फागुलाल रात्रे, लवन।
मुंगेली जिले के फनवाली ग्राम के एक भक्त धर्मेंद्र लहरें एक नारियल लेकर जमीन पर नापते दंडवत प्रणाम करते हुए 120 किलोमीटर की दूरी को 25 दिनों में यात्रा पूरी कर गुरुवार प्रातः 9 बजे लवन पहुंचे। सारंगढ़ टाइम्स को चर्चा में बताया कि परम पूज्य बाबा गुरु घासीदास जी की जन्म स्थली एवं तपोभूमि गिरोदपुरी के लिए दंडवत प्रणाम करते हुए गांव से निकले हैं श्रद्धा भक्ति का अपार स्नेह यहां मिलता है। प्रदेश वासियों के लिए खुशहाली रहे यही बाबा जी से कामना है यहां बाबा जी के चमत्कारी कार्य अनेकों देखने को मिला है जो पूरे हिंदुस्तान में फैल चुका है। लोगों को जागृत करने बाबा जी के सात संदेशों को गांव-गांव घर-घर तक पहुंचाने की मूल उद्देश्य से ऐसा दंडवत प्रणाम कर गिरोदपुरी पहुंचने का बीड़ा उठाया है। लवन से गिरोदपुरी की दूरी 35 किलोमीटर है जहां इन्हें पहुंचने में अभी 10 दिन और लग जाएंगे 35 वर्षीय धर्मेन्द्र लहरे साधु संतों के भेष में सफेद कुर्ता और धोती पहनकर साथ पीछे एक साइकिल में सफेद झंडा लगाकर खाने-पीने बर्तन में समान लेकर सहयोगी फूलचंद पाटले भी पैदल चलकर साथ दे रहे हैं। भुइयां नाप रहे व्यक्ति के साथी फूलचंद ने बताया कि बाबा की आशीर्वाद से यह सब संभव है ज्ञात हो फागुन शुक्ल पंचमी छठवां सप्तमी को गिरोदपुरी में विशाल मेला का आयोजन होता है पिछले 2 वर्ष से कोरोना काल के चलते मेले में भीड़ कम रही लेकिन इस वर्ष 7- 8 व 9 मार्च को होने वाली गिरोदपुरी मेला में लाखों लोगों की भीड़ होने की संभावना है विश्व प्रसिद्ध सतनामी समाज का प्रमुख आस्था का केंद्र गिरोदपुरी है जहां देश के कोने-कोने से श्रद्धालु पहुंचते हैं फागुन शुक्ल के पंचमी छठवां सप्तमी को होने वाली गिरोधपुरी मेला में जहां दुकान लगाने वाले व्यापारी गण अभी से पहुंचने लगे हैं वही जमीन में दंडवत प्रणाम करने वालों भक्त भी लंबी दूरी से यात्रा प्रारंभ कर दिए हैं गिरौदपुरी में दर्शनार्थियों के लिए प्रमुख आस्था का केंद्र गिरोदपुरी के मुख्य मंदिर है जहां बाबा गुरु घासीदास जी की खड़ाऊ पैर पदचिन्ह का दर्शन कर अपने आप को धन्य कहलाते हैं वैसे तो यहां दर्शन के लिए चरण कुंड अमृत कुंड पंच कुंडी सफुरा मठ जीत तालाब छाता पहाड़ जैसे अनेक पवित्र स्थल है जहां लोग पहुंचकर माथा टेकते हैं यहां के छाता पहाड़ जहां पर 25 -30 साधु संत भक्त प्रति वर्ष समाधि लेते हैं ।