श्रीमद् भागवत कथा समापन के बाद हुआ हवन यज्ञ…

नगर पालिक निगम के खरमोरा क्षेत्र के बजरंग चौक में चल रही सप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा का समापन सोमवार को तुलसी वर्षा के साथ हुआ। कथा के समापन के बाद हवन यज्ञ हुआ। इसमें शामिल होने वाले श्रद्धालुओं ने जयकारे भी लगाए। भागवत कथा का आयोजन खरमोरा वार्ड नंबर 31के वासियों और प्रमुख जनों की ओर कराया गया था। जिसमें व्यासपीठ कथावाचक श्री कृष्णा द्विवेदी महाराज (स्वामी जगन्नाथ मंदिर दादर खुर्द) के मुखारविंद से हुआ।

कोरबा छत्तीसगढ़ – श्री मद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आज विधिवत श्री तुलसी वर्षा गीता पाठ कर कथा विश्राम की गई। उक्त आयोजन ग्राम खरमोरा वॉर्ड नं 31 के बजरंग चौक में अयोजित की गई थी।। जिसमे व्यासपीठ कथा वाचक कृष्णा द्विवेदी महराज (स्वामी जगन्नाथ मंदिर दादर खुर्द) के मुखारविंद से दिनांक
21/3/2022से 28/3/2022 तक साप्ताहिक कथा के रुप में वाचन किया गया।

क्षेत्र के खरमोरा में चल रही सप्ताहिक श्रीमद् श्रीमद् भागवत कथा का समापन सोमवार को हो गया। कथा के समापन के बाद हवन यज्ञ हुआ। इसमें शामिल होने वाले श्रद्धालुओं ने जयकारे भी लगाए।

वार्ड के लोगो ने हवन किया। हवन के दौरान कथा व्यास पंड़ित श्री कृष्णा द्विवेदी महाराज (स्वामी जगन्नाथ मंदिर दादर खुर्द) गुरु जी ने कहा कि आत्मा को जन्म व मृत्यु के बंधन से मुक्त कराने के लिए भक्ति मार्ग से जुड़कर सत्कर्म करना होगा। कहा कि हवन-यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है। दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं। यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। श्रीमद भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। कथावाचक आचार्य पं. कृष्णा द्विवेदी ने भंडारे के प्रसाद का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन बुद्धि व चित को निर्मल कर देता है। मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान का लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है। कथा समापन के दिन रविवार को हुआ तथा सोमवार को विधिविधान से पूजा करवाई दोपहर तक हवन किया गया। बाद में प्रसाद वितरित हुआ। इस मौके पर वार्ड वासी और प्रमुख जन मौजूद रहे।

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