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सरकार ने बृहस्पति बाज़ार का “सब्ज़ी महल” चित्र दिखाया लेकिन ग़रीबों के लिए उसमे कोई जगह नहीं दिखी — शैलेश पांडेय


*सब्ज़ी व्यापारी संघ से अपर आयुक्त और आयुक्त की बातों में फ़र्क़ ? अफ़वाह कौन अधिकारी फैला रहा है,पैसे में चबूतरा देने की बात कही है सच क्या है लिखित खुलासा करे ?*

*हक़ीक़त में ग्राउंड फ्लोर पाँच फीट ऊपर है,कैसे 500 टन से ज़्यादा सब्ज़ी ले जाएँगे ?*

नगर निगम आयुक्त कार्यालय में बृहस्पति सब्ज़ी व्यापारी संघ की बैठक में निगम के ज़िम्मेदार अधिकारी ने व्यापारी संघ से चबूतरा शुल्क लगेगा तभी मिलेगा यही बातें कही थी और सब्ज़ी महल के प्रकाशन आयुक्त ने निःशुल्क देने की बात कही है इसमें सच्चाई कितनी है यह निगम के अधिकारियों को *लिखित* में व्यापारियों को देना चाहिए ताकि ग़रीब व्यापारी अपना कार्य आगे कैसे करेंगे ये फाइनल हो।सीमित चबूतरों को किस प्रकार बाँटा जाएगा क्योंकि बृहस्पति बाज़ार में अभी *सात सौ* से ज़्यादा व्यापारी सब्ज़ी बेचते है।ज़ाहिर है सभी के लिए चबूतरों की व्यवस्था नहीं किया गया है इसका मतलब उन ग़रीब सब्ज़ी वालों की रोज़ी रोटी सरकार छीनने वाली है और ये ग़रीबों के साथ अन्याय है और इस बात से *छोटे व्यापारी नाराज़* है।

व्यापारियों को जो नक़्शा दिखाया उसमे ग्राउंड फ्लोर जमींन से पाँच फीट ऊपर है और इतनी ऊपर लगभग 500 टन सब्ज़ी कैसे चढ़ाई जाएगी ये प्रश्न है क्योंकि इतना भार उठाना बहुत महँगा पड़ेगा और व्यापारियों को असुविधा भी होगी साथ ही साथ बुजुर्ग नागरिक जो अधिक संख्या में सब्ज़ी लेने जाते है उनकी स्तिथि कैसी होगी जो कि व्यावहारिक नहीं है।

नक़्शे में कॉरिडोर की चौड़ाई बहुत कम है और व्यावहारिक रूप में आगे और भी सकरा होने की संभावना है जिससे बाज़ार में वर्तमान से ज़्यादा भीड़ हो जाएगी और व्यापारी और नागरिकों दोनों को दिक़्क़त आएगी।

*ध्यान*
शासन को इन सभी समस्याओं का ध्यान रखना चाहिए और अभी भी सुधार किया जा सकता है ताकि व्यापारी और नागरिकों दोनों को सुविधा हो सके और छोटे व्यापारियों को भी जगह मिल सके।बातों से नहीं लिखित जवाब होना चाहिए क्योंकि जनता के विश्वास का मामला है।

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